ईसा अलैहिस्सलाम का पैदाइश

संगती

इब्राहीम की औलाद के नए मुलाक़ात में आपका ख़ैर-मक़्दम है, हमारी ज़िंदगी कैसी चल रही है, इसे जानते हुए शुरुआत करेंगे । पिछले हफ़्ते में आपके या आपके बिरादरी में खुदा ने ऐसा कोई काम किया है, जिसके लिए, आप खुदा को शुक्रिया अदा करना चाहते हैं?
अगली कहानी की शुरुआत करने से पहले, पिछले हफ़्ते में जिस कहानी से हम सीखे हैं, इस पर चर्चा करें।
किस प्रकार से आप ने इस कहानी को अपने ज़िंदगी में लागु किया?
यह कहानी आप ने किसके साथ बाँटा, एवं उनकी प्रतिक्रिया क्या थी?
अब, खुदा की ओर से नई कहानी को सुनते हैं।

मत्ती १:१-२५

[१] ईसा मसीह बिन दाऊद बिन इब्राहीम का नसबनामा : [२] इब्राहीम इसहाक़ का बाप था, इसहाक़ याक़ूब का बाप और याक़ूब यहूदा और उसके भाइयों का बाप। [३] यहूदा के दो बेटे फ़ारस और ज़ारह थे (उनकी माँ तमर थी)। फ़ारस हसरोन का बाप और हसरोन राम का बाप था। [४] राम अम्मीनदाब का बाप, अम्मीनदाब नहसोन का बाप और नहसोन सलमोन का बाप था। [५] सलमोन बोअज़ का बाप था (बोअज़ की माँ राहब थी)। बोअज़ ओबेद का बाप था (ओबेद की माँ रूत थी)। ओबेद यस्सी का बाप और [६] यस्सी दाऊद बादशाह का बाप था। दाऊद सुलेमान का बाप था (सुलेमान की माँ पहले ऊरिय्याह की बीवी थी)। [७] सुलेमान रहुबियाम का बाप, रहुबियाम अबियाह का बाप और अबियाह आसा का बाप था। [८] आसा यहूसफ़त का बाप, यहूसफ़त यूराम का बाप और यूराम उज़्ज़ियाह का बाप था। [९] उज़्ज़ियाह यूताम का बाप, यूताम आख़ज़ का बाप और आख़ज़ हिज़क़ियाह का बाप था। [१०] हिज़क़ियाह मनस्सी का बाप, मनस्सी अमून का बाप और अमून यूसियाह का बाप था। [११] यूसियाह यहूयाकीन और उसके भाइयों का बाप था (यह बाबल की जिलावतनी के दौरान पैदा हुए)। [१२] बाबल की जिलावतनी के बाद यहूयाकीन सियालतियेल का बाप और सियालतियेल ज़रुब्बाबल का बाप था। [१३] ज़रुब्बाबल अबीहूद का बाप, अबीहूद इलियाक़ीम का बाप और इलियाक़ीम आज़ोर का बाप था। [१४] आज़ोर सदोक़ का बाप, सदोक़ अख़ीम का बाप और अख़ीम इलीहूद का बाप था। [१५] इलीहूद इलियज़र का बाप, अलियज़र मत्तान का बाप और मत्तान का बाप याक़ूब था। [१६] याक़ूब मरियम के शौहर यूसुफ़ का बाप था। इस मरियम से ईसा पैदा हुआ, जो मसीह कहलाता है। [१७] यों इब्राहीम से दाऊद तक १४ नसलें हैं, दाऊद से बाबल की जिलावतनी तक १४ नसलें हैं और जिलावतनी से मसीह तक १४ नसलें हैं। [१८] ईसा मसीह की पैदाइश यों हुई : उस वक़्त उस की माँ मरियम की मँगनी यूसुफ़ के साथ हो चुकी थी कि वह रूहुल-क़ुद्स से हामिला पाई गई। अभी उनकी शादी नहीं हुई थी। [१९] उसका मंगेतर यूसुफ़ रास्तबाज़ था, वह अलानिया मरियम को बदनाम नहीं करना चाहता था। इसलिए उसने ख़ामोशी से यह रिश्ता तोड़ने का इरादा कर लिया। [२०] वह इस बात पर अभी ग़ौरो-फ़िकर कर ही रहा था कि रब का फ़रिश्ता ख़ाब में उस पर ज़ाहिर हुआ और फ़रमाया, “यूसुफ़ बिन दाऊद, मरियम से शादी करके उसे अपने घर ले आने से मत डर, क्योंकि पैदा होनेवाला बच्चा रूहुल-क़ुद्स से है। [२१] उसके बेटा होगा और उसका नाम ईसा रखना, क्योंकि वह अपनी क़ौम को उसके गुनाहों से रिहाई देगा।” [२२] यह सब कुछ इसलिए हुआ ताकि रब की वह बात पूरी हो जाए जो उसने अपने नबी की मारिफ़त फ़रमाई थी, [२३] “देखो एक कुँवारी हामिला होगी। उससे बेटा पैदा होगा और वह उसका नाम इम्मानुएल रखेंगे।” (इम्मानुएल का मतलब ‘ख़ुदा हमारे साथ’ है।) [२४] जब यूसुफ़ जाग उठा तो उसने रब के फ़रिश्ते के फ़रमान के मुताबिक़ मरियम से शादी कर ली और उसे अपने घर ले गया। [२५] लेकिन जब तक उसके बेटा पैदा न हुआ वह मरियम से हमबिसतर न हुआ। और यूसुफ़ ने बच्चे का नाम ईसा रखा।

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लागूकरण

अब कहानी को फ़िर से सुनते हैं।
खुदा के बारे में आप इस कहानी से क्या सिखते हैं?
लोगों के बारे में आप इस कहानी से क्या सीखते हैं?
यह कहानी आप अपने ज़िंदगी में कैसे लागु करेंगे? क्या इस कहानी में कोई हुक्म है जिसे हमें मानना चाहिए या इसमें कोई मिसाल है जिसकी हम पैरवी करें या फ़िर इस कहानी के मुताबिक कोई गुनाह है जिससे हमें बचना चाहिए?
सच्चाई को जमा करने की ज़रूरत नहीं है । किसी ने आपके साथ सच्चाई को बाँटा है, जिसकी वजह से आपकी ज़िंदगी में कुछ फ़ायदा पहुँचा है। इसलिये आप आने वाले हफ़्ते में, किस व्यक्ति के साथ इस कहानी को बाँटेंगे?
जैसे हम इस मुलाक़ात के आख़िरी पड़ाव में है, आइए तय करते हैं की हम अगले हफ़्ते में कब मिलेंगे, और अगले मुलाक़ात की सहूलत कौन करेगा?
यह मुलाक़ात का समय अच्छा रहा, हम आपको प्रोत्साहित करना चाहते हैं, जो आप ने सीखा है उस पर लिखकर ध्यान दें, और अगले मुलाक़ात में आने से पहले, कहानी को फ़िर से पढ़ लें।

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