[१२] जब ईसा को ख़बर मिली कि यहया को जेल में डाल दिया गया है तो वह वहाँ से चला गया और गलील में आया। [१३] नासरत को छोड़कर वह झील के किनारे पर वाक़े शहर कफ़र्नहूम में रहने लगा, यानी ज़बूलून और नफ़ताली के इलाक़े में। [१४] यों यसायाह नबी की पेशगोई पूरी हुई,
[१५] “ज़बूलून का इलाक़ा, नफ़ताली का इलाक़ा,
झील के साथ का रास्ता, दरियाए-यरदन के पार,
ग़ैरयहूदियों का गलील :
[१६] अंधेरे में बैठी क़ौम ने एक तेज़ रौशनी देखी,
मौत के साय में डूबे हुए मुल्क के बाशिंदों पर रौशनी चमकी।”
[१७] उस वक़्त से ईसा इस पैग़ाम की मुनादी करने लगा, “तौबा करो, क्योंकि आसमान की बादशाही क़रीब आ गई है।”
[१८] एक दिन जब ईसा गलील की झील के किनारे किनारे चल रहा था तो उसने दो भाइयों को देखा—शमौन जो पतरस भी कहलाता था और अंदरियास को। वह पानी में जाल डाल रहे थे, क्योंकि वह माहीगीर थे। [१९] उसने कहा, “आओ, मेरे पीछे हो लो, मैं तुमको आदमगीर बनाऊँगा।” [२०] यह सुनते ही वह अपने जालों को छोड़कर उसके पीछे हो लिए।
[२१] आगे जाकर ईसा ने दो और भाइयों को देखा, याक़ूब बिन ज़बदी और उसके भाई यूहन्ना को। वह कश्ती में बैठे अपने बाप ज़बदी के साथ अपने जालों की मरम्मत कर रहे थे। ईसा ने उन्हें बुलाया [२२] तो वह फ़ौरन कश्ती और अपने बाप को छोड़कर उसके पीछे हो लिए।
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