बीमार औरत और जी उठना

संगती

इब्राहीम की औलाद के नए मुलाक़ात में आपका ख़ैर-मक़्दम है, हमारी ज़िंदगी कैसी चल रही है, इसे जानते हुए शुरुआत करेंगे । पिछले हफ़्ते में आपके या आपके बिरादरी में खुदा ने ऐसा कोई काम किया है, जिसके लिए, आप खुदा को शुक्रिया अदा करना चाहते हैं?
अगली कहानी की शुरुआत करने से पहले, पिछले हफ़्ते में जिस कहानी से हम सीखे हैं, इस पर चर्चा करें।
किस प्रकार से आप ने इस कहानी को अपने ज़िंदगी में लागु किया?
यह कहानी आप ने किसके साथ बाँटा, एवं उनकी प्रतिक्रिया क्या थी?
अब, खुदा की ओर से नई कहानी को सुनते हैं।

मत्ती ९:१८-२६

[१८] ईसा अभी यह बयान कर रहा था कि एक यहूदी राहनुमा ने गिरकर उसे सिजदा किया और कहा, “मेरी बेटी अभी अभी मरी है। लेकिन आकर अपना हाथ उस पर रखें तो वह दुबारा ज़िंदा हो जाएगी।” [१९] ईसा उठकर अपने शागिर्दों समेत उसके साथ हो लिया। [२०] चलते चलते एक औरत ने पीछे से आकर ईसा के लिबास का किनारा छुआ। यह औरत बारह साल से ख़ून बहने की मरीज़ा थी [२१] और वह सोच रही थी, “अगर मैं सिर्फ़ उसके लिबास को ही छू लूँ तो शफ़ा पा लूँगी।” [२२] ईसा ने मुड़कर उसे देखा और कहा, “बेटी, हौसला रख! तेरे ईमान ने तुझे बचा लिया है।” और औरत को उसी वक़्त शफ़ा मिल गई। [२३] फिर ईसा राहनुमा के घर में दाख़िल हुआ। बाँसरी बजानेवाले और बहुत-से लोग पहुँच चुके थे और बहुत शोर-शराबा था। यह देखकर [२४] ईसा ने कहा, “निकल जाओ! लड़की मर नहीं गई बल्कि सो रही है।” लोग हँसकर उसका मज़ाक़ उड़ाने लगे। [२५] लेकिन जब सबको निकाल दिया गया तो वह अंदर गया। उसने लड़की का हाथ पकड़ा तो वह उठ खड़ी हुई। [२६] इस मोजिज़े की ख़बर उस पूरे इलाक़े में फैल गई।

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लागूकरण

अब कहानी को फ़िर से सुनते हैं।
खुदा के बारे में आप इस कहानी से क्या सिखते हैं?
लोगों के बारे में आप इस कहानी से क्या सीखते हैं?
यह कहानी आप अपने ज़िंदगी में कैसे लागु करेंगे? क्या इस कहानी में कोई हुक्म है जिसे हमें मानना चाहिए या इसमें कोई मिसाल है जिसकी हम पैरवी करें या फ़िर इस कहानी के मुताबिक कोई गुनाह है जिससे हमें बचना चाहिए?
सच्चाई को जमा करने की ज़रूरत नहीं है । किसी ने आपके साथ सच्चाई को बाँटा है, जिसकी वजह से आपकी ज़िंदगी में कुछ फ़ायदा पहुँचा है। इसलिये आप आने वाले हफ़्ते में, किस व्यक्ति के साथ इस कहानी को बाँटेंगे?
जैसे हम इस मुलाक़ात के आख़िरी पड़ाव में है, आइए तय करते हैं की हम अगले हफ़्ते में कब मिलेंगे, और अगले मुलाक़ात की सहूलत कौन करेगा?
यह मुलाक़ात का समय अच्छा रहा, हम आपको प्रोत्साहित करना चाहते हैं, जो आप ने सीखा है उस पर लिखकर ध्यान दें, और अगले मुलाक़ात में आने से पहले, कहानी को फ़िर से पढ़ लें।

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