यहया बपतिस्मा देनेवाला

संगती

इब्राहीम की औलाद के नए मुलाक़ात में आपका ख़ैर-मक़्दम है, हमारी ज़िंदगी कैसी चल रही है, इसे जानते हुए शुरुआत करेंगे । पिछले हफ़्ते में आपके या आपके बिरादरी में खुदा ने ऐसा कोई काम किया है, जिसके लिए, आप खुदा को शुक्रिया अदा करना चाहते हैं?
अगली कहानी की शुरुआत करने से पहले, पिछले हफ़्ते में जिस कहानी से हम सीखे हैं, इस पर चर्चा करें।
किस प्रकार से आप ने इस कहानी को अपने ज़िंदगी में लागु किया?
यह कहानी आप ने किसके साथ बाँटा, एवं उनकी प्रतिक्रिया क्या थी?
अब, खुदा की ओर से नई कहानी को सुनते हैं।

मत्ती ११:१-१९

[१] अपने शागिर्दों को यह हिदायात देने के बाद ईसा उनके शहरों में तालीम देने और मुनादी करने के लिए रवाना हुआ। [२] यहया ने जो उस वक़्त जेल में था सुना कि ईसा क्या क्या कर रहा है। इस पर उसने अपने शागिर्दों को उसके पास भेज दिया [३] ताकि वह उससे पूछें, “क्या आप वही हैं जिसे आना है या हम किसी और के इंतज़ार में रहें?” [४] ईसा ने जवाब दिया, “यहया के पास वापस जाकर उसे सब कुछ बता देना जो तुमने देखा और सुना है। [५] ‘अंधे देखते, लँगड़े चलते-फिरते हैं, कोढ़ियों को पाक-साफ़ किया जाता है, बहरे सुनते हैं, मुरदों को ज़िंदा किया जाता है और ग़रीबों को अल्लाह की ख़ुशख़बरी सुनाई जाती है।’ [६] मुबारक है वह जो मेरे सबब से ठोकर खाकर बरगश्ता नहीं होता।” [७] यहया के यह शागिर्द चले गए तो ईसा हुजूम से यहया के बारे में बात करने लगा, “तुम रेगिस्तान में क्या देखने गए थे? एक सरकंडा जो हवा के हर झोंके से हिलता है? बेशक नहीं। [८] या क्या वहाँ जाकर ऐसे आदमी की तवक़्क़ो कर रहे थे जो नफ़ीस और मुलायम लिबास पहने हुए है? नहीं, जो शानदार कपड़े पहनते हैं वह शाही महलों में पाए जाते हैं। [९] तो फिर तुम क्या देखने गए थे? एक नबी को? बिलकुल सहीह, बल्कि मैं तुमको बताता हूँ कि वह नबी से भी बड़ा है। [१०] उसी के बारे में कलामे-मुक़द्दस में लिखा है, ‘देख, मैं अपने पैग़ंबर को तेरे आगे आगे भेज देता हूँ जो तेरे सामने रास्ता तैयार करेगा।’ [११] मैं तुमको सच बताता हूँ कि इस दुनिया में पैदा होनेवाला कोई भी शख़्स यहया से बड़ा नहीं है। तो भी आसमान की बादशाही में दाख़िल होनेवाला सबसे छोटा शख़्स उससे बड़ा है। [१२] यहया बपतिस्मा देनेवाले की ख़िदमत से लेकर आज तक आसमान की बादशाही पर ज़बरदस्ती की जा रही है, और ज़बरदस्त उसे छीन रहे हैं। [१३] क्योंकि तमाम नबी और तौरेत ने यहया के दौर तक इसके बारे में पेशगोई की है। [१४] और अगर तुम यह मानने के लिए तैयार हो तो मानो कि वह इलियास नबी है जिसे आना था। [१५] जो सुन सकता है वह सुन ले! [१६] मैं इस नसल को किससे तशबीह दूँ? वह उन बच्चों की मानिंद हैं जो बाज़ार में बैठे खेल रहे हैं। उनमें से कुछ ऊँची आवाज़ से दूसरे बच्चों से शिकायत कर रहे हैं, [१७] ‘हमने बाँसरी बजाई तो तुम न नाचे। फिर हमने नोहा के गीत गाए, लेकिन तुमने छाती पीटकर मातम न किया।’ [१८] देखो, यहया आया और न खाया, न पिया। यह देखकर लोग कहते हैं कि उसमें बदरूह है। [१९] फिर इब्ने-आदम खाता और पीता हुआ आया। अब कहते हैं, ‘देखो यह कैसा पेटू और शराबी है। और वह टैक्स लेनेवालों और गुनाहगारों का दोस्त भी है।’ लेकिन हिकमत अपने आमाल से ही सहीह साबित हुई है।”

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लागूकरण

अब कहानी को फ़िर से सुनते हैं।
खुदा के बारे में आप इस कहानी से क्या सिखते हैं?
लोगों के बारे में आप इस कहानी से क्या सीखते हैं?
यह कहानी आप अपने ज़िंदगी में कैसे लागु करेंगे? क्या इस कहानी में कोई हुक्म है जिसे हमें मानना चाहिए या इसमें कोई मिसाल है जिसकी हम पैरवी करें या फ़िर इस कहानी के मुताबिक कोई गुनाह है जिससे हमें बचना चाहिए?
सच्चाई को जमा करने की ज़रूरत नहीं है । किसी ने आपके साथ सच्चाई को बाँटा है, जिसकी वजह से आपकी ज़िंदगी में कुछ फ़ायदा पहुँचा है। इसलिये आप आने वाले हफ़्ते में, किस व्यक्ति के साथ इस कहानी को बाँटेंगे?
जैसे हम इस मुलाक़ात के आख़िरी पड़ाव में है, आइए तय करते हैं की हम अगले हफ़्ते में कब मिलेंगे, और अगले मुलाक़ात की सहूलत कौन करेगा?
यह मुलाक़ात का समय अच्छा रहा, हम आपको प्रोत्साहित करना चाहते हैं, जो आप ने सीखा है उस पर लिखकर ध्यान दें, और अगले मुलाक़ात में आने से पहले, कहानी को फ़िर से पढ़ लें।

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