[२०] फिर ईसा उन शहरों को डाँटने लगा जिनमें उसने ज़्यादा मोजिज़े किए थे, क्योंकि उन्होंने तौबा नहीं की थी। [२१] “ऐ ख़ुराज़ीन, तुझ पर अफ़सोस! बैत-सैदा, तुझ पर अफ़सोस! अगर सूर और सैदा में वह मोजिज़े किए गए होते जो तुममें हुए तो वहाँ के लोग कब के टाट ओढ़कर और सर पर राख डालकर तौबा कर चुके होते। [२२] जी हाँ, अदालत के दिन तुम्हारी निसबत सूर और सैदा का हाल ज़्यादा क़ाबिले-बरदाश्त होगा। [२३] और ऐ कफ़र्नहूम, क्या तुझे आसमान तक सरफ़राज़ किया जाएगा? हरगिज़ नहीं, बल्कि तू उतरता उतरता पाताल तक पहुँचेगा। अगर सदूम में वह मोजिज़े किए गए होते जो तुझमें हुए हैं तो वह आज तक क़ायम रहता। [२४] हाँ, अदालत के दिन तेरी निसबत सदूम का हाल ज़्यादा क़ाबिले-बरदाश्त होगा।”
[२५] उस वक़्त ईसा ने कहा, “ऐ बाप, आसमानो-ज़मीन के मालिक! मैं तेरी तमजीद करता हूँ कि तूने यह बातें दानाओं और अक़्लमंदों से छुपाकर छोटे बच्चों पर ज़ाहिर कर दी हैं। [२६] हाँ मेरे बाप, यही तुझे पसंद आया।
[२७] मेरे बाप ने सब कुछ मेरे सुपुर्द कर दिया है। कोई भी फ़रज़ंद को नहीं जानता सिवाए बाप के। और कोई बाप को नहीं जानता सिवाए फ़रज़ंद के और उन लोगों के जिन पर फ़रज़ंद बाप को ज़ाहिर करना चाहता है।
[२८] ऐ थकेमाँदे और बोझ तले दबे हुए लोगो, सब मेरे पास आओ! मैं तुमको आराम दूँगा। [२९] मेरा जुआ अपने ऊपर उठाकर मुझसे सीखो, क्योंकि मैं हलीम और नरमदिल हूँ। यों करने से तुम्हारी जानें आराम पाएँगी, [३०] क्योंकि मेरा जुआ मुलायम और मेरा बोझ हलका है।”
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