ईसा अलैहिस्सलाम पर इबलीस के लिए काम करने का दोष

संगती

इब्राहीम की औलाद के नए मुलाक़ात में आपका ख़ैर-मक़्दम है, हमारी ज़िंदगी कैसी चल रही है, इसे जानते हुए शुरुआत करेंगे । पिछले हफ़्ते में आपके या आपके बिरादरी में खुदा ने ऐसा कोई काम किया है, जिसके लिए, आप खुदा को शुक्रिया अदा करना चाहते हैं?
अगली कहानी की शुरुआत करने से पहले, पिछले हफ़्ते में जिस कहानी से हम सीखे हैं, इस पर चर्चा करें।
किस प्रकार से आप ने इस कहानी को अपने ज़िंदगी में लागु किया?
यह कहानी आप ने किसके साथ बाँटा, एवं उनकी प्रतिक्रिया क्या थी?
अब, खुदा की ओर से नई कहानी को सुनते हैं।

मत्ती १२:२२-३७

[२२] फिर एक आदमी को ईसा के पास लाया गया जो बदरूह की गिरिफ़्त में था। वह अंधा और गूँगा था। ईसा ने उसे शफ़ा दी तो गूँगा बोलने और देखने लगा। [२३] हुजूम के तमाम लोग हक्का-बक्का रह गए और पूछने लगे, “क्या यह इब्ने-दाऊद नहीं?” [२४] लेकिन जब फ़रीसियों ने यह सुना तो उन्होंने कहा, “यह सिर्फ़ बदरूहों के सरदार बाल-ज़बूल की मारिफ़त बदरूहों को निकालता है।” [२५] उनके यह ख़यालात जानकर ईसा ने उनसे कहा, “जिस बादशाही में फूट पड़ जाए वह तबाह हो जाएगी। और जिस शहर या घराने की ऐसी हालत हो वह भी क़ायम नहीं रह सकता। [२६] इसी तरह अगर इबलीस अपने आपको निकाले तो फिर उसमें फूट पड़ गई है। इस सूरत में उस की बादशाही किस तरह क़ायम रह सकती है? [२७] और अगर मैं बदरूहों को बाल-ज़बूल की मदद से निकालता हूँ तो तुम्हारे बेटे उन्हें किसके ज़रीए निकालते हैं? चुनाँचे वही इस बात में तुम्हारे मुंसिफ़ होंगे। [२८] लेकिन अगर मैं अल्लाह के रूह की मारिफ़त बदरूहों को निकाल देता हूँ तो फिर अल्लाह की बादशाही तुम्हारे पास पहुँच चुकी है। [२९] किसी ज़ोरावर आदमी के घर में घुसकर उसका मालो-असबाब लूटना किस तरह मुमकिन है जब तक कि उसे बाँधा न जाए? फिर ही उसे लूटा जा सकता है। [३०] जो मेरे साथ नहीं वह मेरे ख़िलाफ़ है और जो मेरे साथ जमा नहीं करता वह बिखेरता है। [३१] ग़रज़ मैं तुमको बताता हूँ कि इनसान का हर गुनाह और कुफ़र मुआफ़ किया जा सकेगा सिवाए रूहुल-क़ुद्स के ख़िलाफ़ कुफ़र बकने के। इसे मुआफ़ नहीं किया जाएगा। [३२] जो इब्ने-आदम के ख़िलाफ़ बात करे उसे मुआफ़ किया जा सकेगा, लेकिन जो रूहुल-क़ुद्स के ख़िलाफ़ बात करे उसे न इस जहान में और न आनेवाले जहान में मुआफ़ किया जाएगा। [३३] अच्छे फल के लिए अच्छे दरख़्त की ज़रूरत होती है। ख़राब दरख़्त से ख़राब फल मिलता है। दरख़्त उसके फल से ही पहचाना जाता है। [३४] ऐ साँप के बच्चो! तुम जो बुरे हो किस तरह अच्छी बातें कर सकते हो? क्योंकि जिस चीज़ से दिल लबरेज़ होता है वह छलककर ज़बान पर आ जाती है। [३५] अच्छा शख़्स अपने दिल के अच्छे ख़ज़ाने से अच्छी चीज़ें निकालता है जबकि बुरा शख़्स अपने बुरे ख़ज़ाने से बुरी चीज़ें। [३६] मैं तुमको बताता हूँ कि क़ियामत के दिन लोगों को बेपरवाई से की गई हर बात का हिसाब देना पड़ेगा। [३७] तुम्हारी अपनी बातों की बिना पर तुमको रास्त या नारास्त ठहराया जाएगा।”

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लागूकरण

अब कहानी को फ़िर से सुनते हैं।
खुदा के बारे में आप इस कहानी से क्या सिखते हैं?
लोगों के बारे में आप इस कहानी से क्या सीखते हैं?
यह कहानी आप अपने ज़िंदगी में कैसे लागु करेंगे? क्या इस कहानी में कोई हुक्म है जिसे हमें मानना चाहिए या इसमें कोई मिसाल है जिसकी हम पैरवी करें या फ़िर इस कहानी के मुताबिक कोई गुनाह है जिससे हमें बचना चाहिए?
सच्चाई को जमा करने की ज़रूरत नहीं है । किसी ने आपके साथ सच्चाई को बाँटा है, जिसकी वजह से आपकी ज़िंदगी में कुछ फ़ायदा पहुँचा है। इसलिये आप आने वाले हफ़्ते में, किस व्यक्ति के साथ इस कहानी को बाँटेंगे?
जैसे हम इस मुलाक़ात के आख़िरी पड़ाव में है, आइए तय करते हैं की हम अगले हफ़्ते में कब मिलेंगे, और अगले मुलाक़ात की सहूलत कौन करेगा?
यह मुलाक़ात का समय अच्छा रहा, हम आपको प्रोत्साहित करना चाहते हैं, जो आप ने सीखा है उस पर लिखकर ध्यान दें, और अगले मुलाक़ात में आने से पहले, कहानी को फ़िर से पढ़ लें।

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