[१३] जब ईसा क़ैसरिया-फ़िलिप्पी के इलाक़े में पहुँचा तो उसने शागिर्दों से पूछा, “इब्ने-आदम लोगों के नज़दीक कौन है?”
[१४] उन्होंने जवाब दिया, “कुछ कहते हैं यहया बपतिस्मा देनेवाला, कुछ यह कि आप इलियास नबी हैं। कुछ यह भी कहते हैं कि यरमियाह या नबियों में से एक।”
[१५] उसने पूछा, “लेकिन तुम्हारे नज़दीक मैं कौन हूँ?”
[१६] पतरस ने जवाब दिया, “आप ज़िंदा ख़ुदा के फ़रज़ंद मसीह हैं।”
[१७] ईसा ने कहा, “शमौन बिन यूनुस, तू मुबारक है, क्योंकि किसी इनसान ने तुझ पर यह ज़ाहिर नहीं किया बल्कि मेरे आसमानी बाप ने। [१८] मैं तुझे यह भी बताता हूँ कि तू पतरस यानी पत्थर है, और इसी पत्थर पर मैं अपनी जमात को तामीर करूँगा, ऐसी जमात जिस पर पाताल के दरवाज़े भी ग़ालिब नहीं आएँगे। [१९] मैं तुझे आसमान की बादशाही की कुंजियाँ दे दूँगा। जो कुछ तू ज़मीन पर बाँधेगा वह आसमान पर भी बँधेगा। और जो कुछ तू ज़मीन पर खोलेगा वह आसमान पर भी खुलेगा।”
[२०] फिर ईसा ने अपने शागिर्दों को हुक्म दिया, “किसी को भी न बताओ कि मैं मसीह हूँ।”
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