पहाड़ पर सूरत बदलना

संगती

इब्राहीम की औलाद के नए मुलाक़ात में आपका ख़ैर-मक़्दम है, हमारी ज़िंदगी कैसी चल रही है, इसे जानते हुए शुरुआत करेंगे । पिछले हफ़्ते में आपके या आपके बिरादरी में खुदा ने ऐसा कोई काम किया है, जिसके लिए, आप खुदा को शुक्रिया अदा करना चाहते हैं?
अगली कहानी की शुरुआत करने से पहले, पिछले हफ़्ते में जिस कहानी से हम सीखे हैं, इस पर चर्चा करें।
किस प्रकार से आप ने इस कहानी को अपने ज़िंदगी में लागु किया?
यह कहानी आप ने किसके साथ बाँटा, एवं उनकी प्रतिक्रिया क्या थी?
अब, खुदा की ओर से नई कहानी को सुनते हैं।

मत्ती १७:१-१३

[१] छः दिन के बाद ईसा सिर्फ़ पतरस, याक़ूब और यूहन्ना को अपने साथ लेकर ऊँचे पहाड़ पर चढ़ गया। [२] वहाँ उस की शक्लो-सूरत उनके सामने बदल गई। उसका चेहरा सूरज की तरह चमकने लगा, और उसके कपड़े नूर की मानिंद सफ़ेद हो गए। [३] अचानक इलियास और मूसा ज़ाहिर हुए और ईसा से बातें करने लगे। [४] पतरस बोल उठा, “ख़ुदावंद, कितनी अच्छी बात है कि हम यहाँ हैं। अगर आप चाहें तो मैं तीन झोंपड़ियाँ बनाऊँगा, एक आपके लिए, एक मूसा के लिए और एक इलियास के लिए।” [५] वह अभी बात कर ही रहा था कि एक चमकदार बादल आकर उन पर छा गया और बादल में से एक आवाज़ सुनाई दी, “यह मेरा प्यारा फ़रज़ंद है, जिससे मैं ख़ुश हूँ। इसकी सुनो।” [६] यह सुनकर शागिर्द दहशत खाकर औंधे मुँह गिर गए। [७] लेकिन ईसा ने आकर उन्हें छुआ। उसने कहा, “उठो, मत डरो।” [८] जब उन्होंने नज़र उठाई तो ईसा के सिवा किसी को न देखा। [९] वह पहाड़ से उतरने लगे तो ईसा ने उन्हें हुक्म दिया, “जो कुछ तुमने देखा है उसे उस वक़्त तक किसी को न बताना जब तक कि इब्ने-आदम मुरदों में से जी न उठे।” [१०] शागिर्दों ने उससे पूछा, “शरीअत के उलमा क्यों कहते हैं कि मसीह की आमद से पहले इलियास का आना ज़रूरी है?” [११] ईसा ने जवाब दिया, “इलियास तो ज़रूर सब कुछ बहाल करने के लिए आएगा। [१२] लेकिन मैं तुमको बताता हूँ कि इलियास तो आ चुका है और उन्होंने उसे नहीं पहचाना बल्कि उसके साथ जो चाहा किया। इसी तरह इब्ने-आदम भी उनके हाथों दुख उठाएगा।” [१३] फिर शागिर्दों को समझ आई कि वह उनके साथ यहया बपतिस्मा देनेवाले की बात कर रहा था।

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लागूकरण

अब कहानी को फ़िर से सुनते हैं।
खुदा के बारे में आप इस कहानी से क्या सिखते हैं?
लोगों के बारे में आप इस कहानी से क्या सीखते हैं?
यह कहानी आप अपने ज़िंदगी में कैसे लागु करेंगे? क्या इस कहानी में कोई हुक्म है जिसे हमें मानना चाहिए या इसमें कोई मिसाल है जिसकी हम पैरवी करें या फ़िर इस कहानी के मुताबिक कोई गुनाह है जिससे हमें बचना चाहिए?
सच्चाई को जमा करने की ज़रूरत नहीं है । किसी ने आपके साथ सच्चाई को बाँटा है, जिसकी वजह से आपकी ज़िंदगी में कुछ फ़ायदा पहुँचा है। इसलिये आप आने वाले हफ़्ते में, किस व्यक्ति के साथ इस कहानी को बाँटेंगे?
जैसे हम इस मुलाक़ात के आख़िरी पड़ाव में है, आइए तय करते हैं की हम अगले हफ़्ते में कब मिलेंगे, और अगले मुलाक़ात की सहूलत कौन करेगा?
यह मुलाक़ात का समय अच्छा रहा, हम आपको प्रोत्साहित करना चाहते हैं, जो आप ने सीखा है उस पर लिखकर ध्यान दें, और अगले मुलाक़ात में आने से पहले, कहानी को फ़िर से पढ़ लें।

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