[१६] फिर एक आदमी ईसा के पास आया। उसने कहा, “उस्ताद, में कौन-सा नेक काम करूँ ताकि अबदी ज़िंदगी मिल जाए?”
[१७] ईसा ने जवाब दिया, “तू मुझे नेकी के बारे में क्यों पूछ रहा है? सिर्फ़ एक ही नेक है। लेकिन अगर तू अबदी ज़िंदगी में दाख़िल होना चाहता है तो अहकाम के मुताबिक़ ज़िंदगी गुज़ार।”
[१८] आदमी ने पूछा, “कौन-से अहकाम?”
ईसा ने जवाब दिया, “क़त्ल न करना, ज़िना न करना, चोरी न करना, झूटी गवाही न देना, [१९] अपने बाप और अपनी माँ की इज़्ज़त करना और अपने पड़ोसी से वैसी मुहब्बत रखना जैसी तू अपने आपसे रखता है।”
[२०] जवान आदमी ने जवाब दिया, “मैंने इन तमाम अहकाम की पैरवी की है, अब क्या रह गया है?”
[२१] ईसा ने उसे बताया, “अगर तू कामिल होना चाहता है तो जा और अपनी पूरी जायदाद फ़रोख़्त करके पैसे ग़रीबों में तक़सीम कर दे। फिर तेरे लिए आसमान पर ख़ज़ाना जमा हो जाएगा। इसके बाद आकर मेरे पीछे हो ले।”
[२२] यह सुनकर नौजवान मायूस होकर चला गया, क्योंकि वह निहायत दौलतमंद था।
[२३] इस पर ईसा ने अपने शागिर्दों से कहा, “मैं तुमको सच बताता हूँ कि दौलतमंद के लिए आसमान की बादशाही में दाख़िल होना मुश्किल है। [२४] मैं यह दुबारा कहता हूँ, अमीर के आसमान की बादशाही में दाख़िल होने की निसबत ज़्यादा आसान यह है कि ऊँट सूई के नाके में से गुज़र जाए।”
[२५] यह सुनकर शागिर्द निहायत हैरतज़दा हुए और पूछने लगे, “फिर किस को नजात हासिल हो सकती है?”
[२६] ईसा ने ग़ौर से उनकी तरफ़ देखकर जवाब दिया, “यह इनसान के लिए तो नामुमकिन है, लेकिन अल्लाह के लिए सब कुछ मुमकिन है।”
[२७] फिर पतरस बोल उठा, “हम तो अपना सब कुछ छोड़कर आपके पीछे हो लिए हैं। हमें क्या मिलेगा?”
[२८] ईसा ने उनसे कहा, “मैं तुमको सच बताता हूँ, दुनिया की नई तख़लीक़ पर जब इब्ने-आदम अपने जलाली तख़्त पर बैठेगा तो तुम भी जिन्होंने मेरी पैरवी की है बारह तख़्तों पर बैठकर इसराईल के बारह क़बीलों की अदालत करोगे। [२९] और जिसने भी मेरी ख़ातिर अपने घरों, भाइयों, बहनों, बाप, माँ, बच्चों या खेतों को छोड़ दिया है उसे सौ गुना ज़्यादा मिल जाएगा और मीरास में अबदी ज़िंदगी पाएगा। [३०] लेकिन बहुत-से लोग जो अब अव्वल हैं उस वक़्त आख़िर होंगे और जो अब आख़िर हैं वह अव्वल होंगे।
Text is under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International license.