दो तमसील

संगती

इब्राहीम की औलाद के नए मुलाक़ात में आपका ख़ैर-मक़्दम है, हमारी ज़िंदगी कैसी चल रही है, इसे जानते हुए शुरुआत करेंगे । पिछले हफ़्ते में आपके या आपके बिरादरी में खुदा ने ऐसा कोई काम किया है, जिसके लिए, आप खुदा को शुक्रिया अदा करना चाहते हैं?
अगली कहानी की शुरुआत करने से पहले, पिछले हफ़्ते में जिस कहानी से हम सीखे हैं, इस पर चर्चा करें।
किस प्रकार से आप ने इस कहानी को अपने ज़िंदगी में लागु किया?
यह कहानी आप ने किसके साथ बाँटा, एवं उनकी प्रतिक्रिया क्या थी?
अब, खुदा की ओर से नई कहानी को सुनते हैं।

मत्ती २१:२८-४६

[२८] तुम्हारा क्या ख़याल है? एक आदमी के दो बेटे थे। बाप बड़े बेटे के पास गया और कहा, ‘बेटा, आज अंगूर के बाग़ में जाकर काम कर।’ [२९] बेटे ने जवाब दिया, ‘मैं जाना नहीं चाहता,’ लेकिन बाद में उसने अपना ख़याल बदल लिया और बाग़ में चला गया। [३०] इतने में बाप छोटे बेटे के पास भी गया और उसे बाग़ में जाने को कहा। ‘जी जनाब, मैं जाऊँगा,’ छोटे बेटे ने कहा। लेकिन वह न गया। [३१] अब मुझे बताओ कि किस बेटे ने अपने बाप की मरज़ी पूरी की?” “पहले बेटे ने,” उन्होंने जवाब दिया। ईसा ने कहा, “मैं तुमको सच बताता हूँ कि टैक्स लेनेवाले और कसबियाँ तुमसे पहले अल्लाह की बादशाही में दाख़िल हो रहे हैं। [३२] क्योंकि यहया तुमको रास्तबाज़ी की राह दिखाने आया और तुम उस पर ईमान न लाए। लेकिन टैक्स लेनेवाले और कसबियाँ उस पर ईमान लाए। और यह देखकर भी तुमने अपना ख़याल न बदला और उस पर ईमान न लाए। [३३] एक और तमसील सुनो। एक ज़मीनदार था जिसने अंगूर का बाग़ लगाया। उसने उस की चारदीवारी बनाई, अंगूरों का रस निकालने के लिए एक गढ़े की खुदाई की और पहरेदारों के लिए बुर्ज तामीर किया। फिर वह उसे मुज़ारेओं के सुपुर्द करके बैरूने-मुल्क चला गया। [३४] जब अंगूर को तोड़ने का वक़्त क़रीब आ गया तो उसने अपने नौकरों को मुज़ारेओं के पास भेज दिया ताकि वह उनसे मालिक का हिस्सा वसूल करें। [३५] लेकिन मुज़ारेओं ने उसके नौकरों को पकड़ लिया। उन्होंने एक की पिटाई की, दूसरे को क़त्ल किया और तीसरे को संगसार किया। [३६] फिर मालिक ने मज़ीद नौकरों को उनके पास भेज दिया जो पहले की निसबत ज़्यादा थे। लेकिन मुज़ारेओं ने उनके साथ भी वही सुलूक किया। [३७] आख़िरकार ज़मीनदार ने अपने बेटे को उनके पास भेजा। उसने कहा, ‘आख़िर मेरे बेटे का तो लिहाज़ करेंगे।’ [३८] लेकिन बेटे को देखकर मुज़ारे एक दूसरे से कहने लगे, ‘यह ज़मीन का वारिस है। आओ, हम इसे क़त्ल करके उस की मीरास पर क़ब्ज़ा कर लें।’ [३९] उन्होंने उसे पकड़कर बाग़ से बाहर फेंक दिया और क़त्ल किया।” [४०] ईसा ने पूछा, “अब बताओ, बाग़ का मालिक जब आएगा तो उन मुज़ारेओं के साथ क्या करेगा?” [४१] उन्होंने जवाब दिया, “वह उन्हें बुरी तरह तबाह करेगा और बाग़ को दूसरों के सुपुर्द कर देगा, ऐसे मुज़ारेओं के सुपुर्द जो वक़्त पर उसे फ़सल का उसका हिस्सा देंगे।” [४२] ईसा ने उनसे कहा, “क्या तुमने कभी कलाम का यह हवाला नहीं पढ़ा, ‘जिस पत्थर को मकान बनानेवालों ने रद्द किया, वह कोने का बुनियादी पत्थर बन गया। यह रब ने किया और देखने में कितना हैरतअंगेज़ है’? [४३] इसलिए मैं तुम्हें बताता हूँ कि अल्लाह की बादशाही तुमसे ले ली जाएगी और एक ऐसी क़ौम को दी जाएगी जो इसके मुताबिक़ फल लाएगी। [४४] जो इस पत्थर पर गिरेगा वह टुकड़े टुकड़े हो जाएगा, जबकि जिस पर वह ख़ुद गिरेगा उसे वह पीस डालेगा।” [४५] ईसा की तमसीलें सुनकर राहनुमा इमाम और फ़रीसी समझ गए कि वह हमारे बारे में बात कर रहा है। [४६] उन्होंने ईसा को गिरिफ़्तार करने की कोशिश की, लेकिन वह अवाम से डरते थे क्योंकि वह समझते थे कि ईसा नबी है।

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लागूकरण

अब कहानी को फ़िर से सुनते हैं।
खुदा के बारे में आप इस कहानी से क्या सिखते हैं?
लोगों के बारे में आप इस कहानी से क्या सीखते हैं?
यह कहानी आप अपने ज़िंदगी में कैसे लागु करेंगे? क्या इस कहानी में कोई हुक्म है जिसे हमें मानना चाहिए या इसमें कोई मिसाल है जिसकी हम पैरवी करें या फ़िर इस कहानी के मुताबिक कोई गुनाह है जिससे हमें बचना चाहिए?
सच्चाई को जमा करने की ज़रूरत नहीं है । किसी ने आपके साथ सच्चाई को बाँटा है, जिसकी वजह से आपकी ज़िंदगी में कुछ फ़ायदा पहुँचा है। इसलिये आप आने वाले हफ़्ते में, किस व्यक्ति के साथ इस कहानी को बाँटेंगे?
जैसे हम इस मुलाक़ात के आख़िरी पड़ाव में है, आइए तय करते हैं की हम अगले हफ़्ते में कब मिलेंगे, और अगले मुलाक़ात की सहूलत कौन करेगा?
यह मुलाक़ात का समय अच्छा रहा, हम आपको प्रोत्साहित करना चाहते हैं, जो आप ने सीखा है उस पर लिखकर ध्यान दें, और अगले मुलाक़ात में आने से पहले, कहानी को फ़िर से पढ़ लें।

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