रोम के लिए टैक्स

संगती

इब्राहीम की औलाद के नए मुलाक़ात में आपका ख़ैर-मक़्दम है, हमारी ज़िंदगी कैसी चल रही है, इसे जानते हुए शुरुआत करेंगे । पिछले हफ़्ते में आपके या आपके बिरादरी में खुदा ने ऐसा कोई काम किया है, जिसके लिए, आप खुदा को शुक्रिया अदा करना चाहते हैं?
अगली कहानी की शुरुआत करने से पहले, पिछले हफ़्ते में जिस कहानी से हम सीखे हैं, इस पर चर्चा करें।
किस प्रकार से आप ने इस कहानी को अपने ज़िंदगी में लागु किया?
यह कहानी आप ने किसके साथ बाँटा, एवं उनकी प्रतिक्रिया क्या थी?
अब, खुदा की ओर से नई कहानी को सुनते हैं।

मत्ती २२:१५-२२

[१५] फिर फ़रीसियों ने जाकर आपस में मशवरा किया कि हम ईसा को किस तरह ऐसी बात करने के लिए उभारें जिससे उसे पकड़ा जा सके। [१६] इस मक़सद के तहत उन्होंने अपने शागिर्दों को हेरोदेस के पैरोकारों समेत ईसा के पास भेजा। उन्होंने कहा, “उस्ताद, हम जानते हैं कि आप सच्चे हैं और दियानतदारी से अल्लाह की राह की तालीम देते हैं। आप किसी की परवा नहीं करते क्योंकि आप ग़ैरजानिबदार हैं। [१७] अब हमें अपनी राय बताएँ। क्या रोमी शहनशाह को टैक्स देना जायज़ है या नाजायज़?” [१८] लेकिन ईसा ने उनकी बुरी नीयत पहचान ली। उसने कहा, “रियाकारो, तुम मुझे क्यों फँसाना चाहते हो? [१९] मुझे वह सिक्का दिखाओ जो टैक्स अदा करने के लिए इस्तेमाल होता है।” वह उसके पास चाँदी का एक रोमी सिक्का ले आए [२०] तो उसने पूछा, “किसकी सूरत और नाम इस पर कंदा है?” [२१] उन्होंने जवाब दिया, “शहनशाह का।” उसने कहा, “तो जो शहनशाह का है शहनशाह को दो और जो अल्लाह का है अल्लाह को।” [२२] उसका यह जवाब सुनकर वह हक्का-बक्का रह गए और उसे छोड़कर चले गए।

Text is under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International license.

लागूकरण

अब कहानी को फ़िर से सुनते हैं।
खुदा के बारे में आप इस कहानी से क्या सिखते हैं?
लोगों के बारे में आप इस कहानी से क्या सीखते हैं?
यह कहानी आप अपने ज़िंदगी में कैसे लागु करेंगे? क्या इस कहानी में कोई हुक्म है जिसे हमें मानना चाहिए या इसमें कोई मिसाल है जिसकी हम पैरवी करें या फ़िर इस कहानी के मुताबिक कोई गुनाह है जिससे हमें बचना चाहिए?
सच्चाई को जमा करने की ज़रूरत नहीं है । किसी ने आपके साथ सच्चाई को बाँटा है, जिसकी वजह से आपकी ज़िंदगी में कुछ फ़ायदा पहुँचा है। इसलिये आप आने वाले हफ़्ते में, किस व्यक्ति के साथ इस कहानी को बाँटेंगे?
जैसे हम इस मुलाक़ात के आख़िरी पड़ाव में है, आइए तय करते हैं की हम अगले हफ़्ते में कब मिलेंगे, और अगले मुलाक़ात की सहूलत कौन करेगा?
यह मुलाक़ात का समय अच्छा रहा, हम आपको प्रोत्साहित करना चाहते हैं, जो आप ने सीखा है उस पर लिखकर ध्यान दें, और अगले मुलाक़ात में आने से पहले, कहानी को फ़िर से पढ़ लें।

0:00

0:00