यहूदा इस्करियोती की ख़ुदकुशी

संगती

इब्राहीम की औलाद के नए मुलाक़ात में आपका ख़ैर-मक़्दम है, हमारी ज़िंदगी कैसी चल रही है, इसे जानते हुए शुरुआत करेंगे । पिछले हफ़्ते में आपके या आपके बिरादरी में खुदा ने ऐसा कोई काम किया है, जिसके लिए, आप खुदा को शुक्रिया अदा करना चाहते हैं?
अगली कहानी की शुरुआत करने से पहले, पिछले हफ़्ते में जिस कहानी से हम सीखे हैं, इस पर चर्चा करें।
किस प्रकार से आप ने इस कहानी को अपने ज़िंदगी में लागु किया?
यह कहानी आप ने किसके साथ बाँटा, एवं उनकी प्रतिक्रिया क्या थी?
अब, खुदा की ओर से नई कहानी को सुनते हैं।

मत्ती २७:१-१०

[१] सुबह-सवेरे तमाम राहनुमा इमाम और क़ौम के तमाम बुज़ुर्ग इस फ़ैसले तक पहुँच गए कि ईसा को सज़ाए-मौत दी जाए। [२] वह उसे बाँधकर वहाँ से ले गए और रोमी गवर्नर पीलातुस के हवाले कर दिया। [३] जब यहूदा ने जिसने उसे दुश्मन के हवाले कर दिया था देखा कि उस पर सज़ाए-मौत का फ़तवा दे दिया गया है तो उसने पछताकर चाँदी के ३० सिक्के राहनुमा इमामों और क़ौम के बुज़ुर्गों को वापस कर दिए। [४] उसने कहा, “मैंने गुनाह किया है, क्योंकि एक बेक़ुसूर आदमी को सज़ाए-मौत दी गई है और मैं ही ने उसे आपके हवाले किया है।” उन्होंने जवाब दिया, “हमें क्या! यह तेरा मसला है।” [५] यहूदा चाँदी के सिक्के बैतुल-मुक़द्दस में फेंककर चला गया। फिर उसने जाकर फाँसी ले ली। [६] राहनुमा इमामों ने सिक्कों को जमा करके कहा, “शरीअत यह पैसे बैतुल-मुक़द्दस के ख़ज़ाने में डालने की इजाज़त नहीं देती, क्योंकि यह ख़ूनरेज़ी का मुआवज़ा है।” [७] आपस में मशवरा करने के बाद उन्होंने कुम्हार का खेत ख़रीदने का फ़ैसला किया ताकि परदेसियों को दफ़नाने के लिए जगह हो। [८] इसलिए यह खेत आज तक ख़ून का खेत कहलाता है। [९] यों यरमियाह नबी की यह पेशगोई पूरी हुई कि “उन्होंने चाँदी के ३० सिक्के लिए यानी वह रक़म जो इसराईलियों ने उसके लिए लगाई थी। [१०] इनसे उन्होंने कुम्हार का खेत ख़रीद लिया, बिलकुल ऐसा जिस तरह रब ने मुझे हुक्म दिया था।”

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लागूकरण

अब कहानी को फ़िर से सुनते हैं।
खुदा के बारे में आप इस कहानी से क्या सिखते हैं?
लोगों के बारे में आप इस कहानी से क्या सीखते हैं?
यह कहानी आप अपने ज़िंदगी में कैसे लागु करेंगे? क्या इस कहानी में कोई हुक्म है जिसे हमें मानना चाहिए या इसमें कोई मिसाल है जिसकी हम पैरवी करें या फ़िर इस कहानी के मुताबिक कोई गुनाह है जिससे हमें बचना चाहिए?
सच्चाई को जमा करने की ज़रूरत नहीं है । किसी ने आपके साथ सच्चाई को बाँटा है, जिसकी वजह से आपकी ज़िंदगी में कुछ फ़ायदा पहुँचा है। इसलिये आप आने वाले हफ़्ते में, किस व्यक्ति के साथ इस कहानी को बाँटेंगे?
जैसे हम इस मुलाक़ात के आख़िरी पड़ाव में है, आइए तय करते हैं की हम अगले हफ़्ते में कब मिलेंगे, और अगले मुलाक़ात की सहूलत कौन करेगा?
यह मुलाक़ात का समय अच्छा रहा, हम आपको प्रोत्साहित करना चाहते हैं, जो आप ने सीखा है उस पर लिखकर ध्यान दें, और अगले मुलाक़ात में आने से पहले, कहानी को फ़िर से पढ़ लें।

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