[१] फ़रीसी फ़िरक़े का एक आदमी बनाम नीकुदेमुस था जो यहूदी अदालते-आलिया का रुकन था। [२] वह रात के वक़्त ईसा के पास आया और कहा, “उस्ताद, हम जानते हैं कि आप ऐसे उस्ताद हैं जो अल्लाह की तरफ़ से आए हैं, क्योंकि जो इलाही निशान आप दिखाते हैं वह सिर्फ़ ऐसा शख़्स ही दिखा सकता है जिसके साथ अल्लाह हो।”
[३] ईसा ने जवाब दिया, “मैं तुझे सच बताता हूँ, सिर्फ़ वह शख़्स अल्लाह की बादशाही को देख सकता है जो नए सिरे से पैदा हुआ हो।”
[४] नीकुदेमुस ने एतराज़ किया, “क्या मतलब? बूढ़ा आदमी किस तरह नए सिरे से पैदा हो सकता है? क्या वह दुबारा अपनी माँ के पेट में जाकर पैदा हो सकता है?”
[५] ईसा ने जवाब दिया, “मैं तुझे सच बताता हूँ, सिर्फ़ वह शख़्स अल्लाह की बादशाही में दाख़िल हो सकता है जो पानी और रूह से पैदा हुआ हो। [६] जो कुछ जिस्म से पैदा होता है वह जिस्मानी है, लेकिन जो रूह से पैदा होता है वह रूहानी है। [७] इसलिए तू ताज्जुब न कर कि मैं कहता हूँ, ‘तुम्हें नए सिरे से पैदा होना ज़रूर है।’ [८] हवा जहाँ चाहे चलती है। तू उस की आवाज़ तो सुनता है, लेकिन यह नहीं जानता कि कहाँ से आती और कहाँ को जाती है। यही हालत हर उस शख़्स की है जो रूह से पैदा हुआ है।”
[९] नीकुदेमुस ने पूछा, “यह किस तरह हो सकता है?”
[१०] ईसा ने जवाब दिया, “तू तो इसराईल का उस्ताद है। क्या इसके बावुजूद भी यह बातें नहीं समझता? [११] मैं तुझको सच बताता हूँ, हम वह कुछ बयान करते हैं जो हम जानते हैं और उस की गवाही देते हैं जो हमने ख़ुद देखा है। तो भी तुम लोग हमारी गवाही क़बूल नहीं करते। [१२] मैंने तुमको दुनियावी बातें सुनाई हैं और तुम उन पर ईमान नहीं रखते। तो फिर तुम क्योंकर ईमान लाओगे अगर तुम्हें आसमानी बातों के बारे में बताऊँ? [१३] आसमान पर कोई नहीं चढ़ा सिवाए इब्ने-आदम के, जो आसमान से उतरा है।
[१४] और जिस तरह मूसा ने रेगिस्तान में साँप को लकड़ी पर लटकाकर ऊँचा कर दिया उसी तरह ज़रूर है कि इब्ने-आदम को भी ऊँचे पर चढ़ाया जाए, [१५] ताकि हर एक को जो उस पर ईमान लाएगा अबदी ज़िंदगी मिल जाए। [१६] क्योंकि अल्लाह ने दुनिया से इतनी मुहब्बत रखी कि उसने अपने इकलौते फ़रज़ंद को बख़्श दिया, ताकि जो भी उस पर ईमान लाए हलाक न हो बल्कि अबदी ज़िंदगी पाए। [१७] क्योंकि अल्लाह ने अपने फ़रज़ंद को इसलिए दुनिया में नहीं भेजा कि वह दुनिया को मुजरिम ठहराए बल्कि इसलिए कि वह उसे नजात दे।
[१८] जो भी उस पर ईमान लाया है उसे मुजरिम नहीं क़रार दिया जाएगा, लेकिन जो ईमान नहीं रखता उसे मुजरिम ठहराया जा चुका है। वजह यह है कि वह अल्लाह के इकलौते फ़रज़ंद के नाम पर ईमान नहीं लाया। [१९] और लोगों को मुजरिम ठहराने का सबब यह है कि गो अल्लाह का नूर इस दुनिया में आया, लेकिन लोगों ने नूर की निसबत अंधेरे को ज़्यादा प्यार किया, क्योंकि उनके काम बुरे थे। [२०] जो भी ग़लत काम करता है वह नूर से दुश्मनी रखता है और उसके क़रीब नहीं आता ताकि उसके बुरे कामों का पोल न खुल जाए। [२१] लेकिन जो सच्चा काम करता है वह नूर के पास आता है ताकि ज़ाहिर हो जाए कि उसके काम अल्लाह के वसीले से हुए हैं।”
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