फ़रमाँबरदारी

संगती

इब्राहीम की औलाद के नए मुलाक़ात में आपका ख़ैर-मक़्दम है, हमारी ज़िंदगी कैसी चल रही है, इसे जानते हुए शुरुआत करेंगे । पिछले हफ़्ते में आपके या आपके बिरादरी में खुदा ने ऐसा कोई काम किया है, जिसके लिए, आप खुदा को शुक्रिया अदा करना चाहते हैं?
अगली कहानी की शुरुआत करने से पहले, पिछले हफ़्ते में जिस कहानी से हम सीखे हैं, इस पर चर्चा करें।
किस प्रकार से आप ने इस कहानी को अपने ज़िंदगी में लागु किया?
यह कहानी आप ने किसके साथ बाँटा, एवं उनकी प्रतिक्रिया क्या थी?
अब, खुदा की ओर से नई कहानी को सुनते हैं।

मत्ती ५:१-२

[१] भीड़ को देखकर ईसा पहाड़ पर चढ़कर बैठ गया। उसके शागिर्द उसके पास आए [२] और वह उन्हें यह तालीम देने लगा :

मत्ती ७:२४-२९

[२४] लिहाज़ा जो भी मेरी यह बातें सुनकर उन पर अमल करता है वह उस समझदार आदमी की मानिंद है जिसने अपने मकान की बुनियाद चटान पर रखी। [२५] बारिश होने लगी, सैलाब आया और आँधी मकान को झँझोड़ने लगी। लेकिन वह न गिरा, क्योंकि उस की बुनियाद चटान पर रखी गई थी। [२६] लेकिन जो भी मेरी यह बातें सुनकर उन पर अमल नहीं करता वह उस अहमक़ की मानिंद है जिसने अपना मकान सहीह बुनियाद डाले बग़ैर रेत पर तामीर किया। [२७] जब बारिश होने लगी, सैलाब आया और आँधी मकान को झँझोड़ने लगी तो यह मकान धड़ाम से गिर गया।” [२८] जब ईसा ने यह बातें ख़त्म कर लीं तो लोग उस की तालीम सुनकर हक्का-बक्का रह गए, [२९] क्योंकि वह उनके उलमा की तरह नहीं बल्कि इख़्तियार के साथ सिखाता था।

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लागूकरण

अब कहानी को फ़िर से सुनते हैं।
खुदा के बारे में आप इस कहानी से क्या सिखते हैं?
लोगों के बारे में आप इस कहानी से क्या सीखते हैं?
यह कहानी आप अपने ज़िंदगी में कैसे लागु करेंगे? क्या इस कहानी में कोई हुक्म है जिसे हमें मानना चाहिए या इसमें कोई मिसाल है जिसकी हम पैरवी करें या फ़िर इस कहानी के मुताबिक कोई गुनाह है जिससे हमें बचना चाहिए?
सच्चाई को जमा करने की ज़रूरत नहीं है । किसी ने आपके साथ सच्चाई को बाँटा है, जिसकी वजह से आपकी ज़िंदगी में कुछ फ़ायदा पहुँचा है। इसलिये आप आने वाले हफ़्ते में, किस व्यक्ति के साथ इस कहानी को बाँटेंगे?
जैसे हम इस मुलाक़ात के आख़िरी पड़ाव में है, आइए तय करते हैं की हम अगले हफ़्ते में कब मिलेंगे, और अगले मुलाक़ात की सहूलत कौन करेगा?
यह मुलाक़ात का समय अच्छा रहा, हम आपको प्रोत्साहित करना चाहते हैं, जो आप ने सीखा है उस पर लिखकर ध्यान दें, और अगले मुलाक़ात में आने से पहले, कहानी को फ़िर से पढ़ लें।

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