गुनाहों को मानना और बुरी आदतों को छोड़ना

संगती

इब्राहीम की औलाद के नए मुलाक़ात में आपका ख़ैर-मक़्दम है, हमारी ज़िंदगी कैसी चल रही है, इसे जानते हुए शुरुआत करेंगे । पिछले हफ़्ते में आपके या आपके बिरादरी में खुदा ने ऐसा कोई काम किया है, जिसके लिए, आप खुदा को शुक्रिया अदा करना चाहते हैं?
अगली कहानी की शुरुआत करने से पहले, पिछले हफ़्ते में जिस कहानी से हम सीखे हैं, इस पर चर्चा करें।
किस प्रकार से आप ने इस कहानी को अपने ज़िंदगी में लागु किया?
यह कहानी आप ने किसके साथ बाँटा, एवं उनकी प्रतिक्रिया क्या थी?
अब, खुदा की ओर से नई कहानी को सुनते हैं।

आमाल १९:१a

[१a] जब अपुल्लोस कुरिंथुस में ठहरा हुआ था तो पौलुस एशियाए-कूचक के अंदरूनी इलाक़े में से सफ़र करते करते साहिली शहर इफ़िसुस में आया।

आमाल १९:१३-२०

[१३] वहाँ कुछ ऐसे यहूदी भी थे जो जगह जगह जाकर बदरूहें निकालते थे। अब वह बदरूहों के बंधन में फँसे लोगों पर ख़ुदावंद ईसा का नाम इस्तेमाल करने की कोशिश करके कहने लगे, “मैं तुझे उस ईसा के नाम से निकलने का हुक्म देता हूँ जिसकी मुनादी पौलुस करता है।” [१४] एक यहूदी राहनुमा इमाम बनाम स्किवा के सात बेटे ऐसा करते थे। [१५] लेकिन एक दफ़ा जब यही कोशिश कर रहे थे तो बदरूह ने जवाब दिया, “ईसा को तो मैं जानती हूँ और पौलुस को भी, लेकिन तुम कौन हो?” [१६] फिर वह आदमी जिसमें बदरूह थी उन पर झपटकर सब पर ग़ालिब आ गया। उसका उन पर इतना सख़्त हमला हुआ कि वह नंगे और ज़ख़मी हालत में भागकर उस घर से निकल गए। [१७] इस वाकिए की ख़बर इफ़िसुस के तमाम रहनेवाले यहूदियों और यूनानियों में फैल गई। उन पर ख़ौफ़ तारी हुआ और ख़ुदावंद ईसा के नाम की ताज़ीम हुई। [१८] जो ईमान लाए थे उनमें से बहुतेरों ने आकर अलानिया अपने गुनाहों का इक़रार किया। [१९] जादूगरी करनेवालों की बड़ी तादाद ने अपनी जादूमंत्र की किताबें इकट्ठी करके अवाम के सामने जला दीं। पूरी किताबों का हिसाब किया गया तो उनकी कुल रक़म चाँदी के पचास हज़ार सिक्के थी। [२०] यों ख़ुदावंद का कलाम ज़बरदस्त तरीक़े से बढ़ता और ज़ोर पकड़ता गया।

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लागूकरण

अब कहानी को फ़िर से सुनते हैं।
खुदा के बारे में आप इस कहानी से क्या सिखते हैं?
लोगों के बारे में आप इस कहानी से क्या सीखते हैं?
यह कहानी आप अपने ज़िंदगी में कैसे लागु करेंगे? क्या इस कहानी में कोई हुक्म है जिसे हमें मानना चाहिए या इसमें कोई मिसाल है जिसकी हम पैरवी करें या फ़िर इस कहानी के मुताबिक कोई गुनाह है जिससे हमें बचना चाहिए?
सच्चाई को जमा करने की ज़रूरत नहीं है । किसी ने आपके साथ सच्चाई को बाँटा है, जिसकी वजह से आपकी ज़िंदगी में कुछ फ़ायदा पहुँचा है। इसलिये आप आने वाले हफ़्ते में, किस व्यक्ति के साथ इस कहानी को बाँटेंगे?
जैसे हम इस मुलाक़ात के आख़िरी पड़ाव में है, आइए तय करते हैं की हम अगले हफ़्ते में कब मिलेंगे, और अगले मुलाक़ात की सहूलत कौन करेगा?
यह मुलाक़ात का समय अच्छा रहा, हम आपको प्रोत्साहित करना चाहते हैं, जो आप ने सीखा है उस पर लिखकर ध्यान दें, और अगले मुलाक़ात में आने से पहले, कहानी को फ़िर से पढ़ लें।

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