संगती

इब्राहीम की औलाद के नए मुलाक़ात में आपका ख़ैर-मक़्दम है, हमारी ज़िंदगी कैसी चल रही है, इसे जानते हुए शुरुआत करेंगे । पिछले हफ़्ते में आपके या आपके बिरादरी में खुदा ने ऐसा कोई काम किया है, जिसके लिए, आप खुदा को शुक्रिया अदा करना चाहते हैं?
अगली कहानी की शुरुआत करने से पहले, पिछले हफ़्ते में जिस कहानी से हम सीखे हैं, इस पर चर्चा करें।
आपके समुदाय में खोए हुए लोगों की क्या ज़रूरतें हैं, और हमने जो ज़रूरतें व्यक्त की हैं, उन्हें पूरा करने में हम एक-दूसरे की कैसे मदद कर सकते हैं?
शिष्य बनाने के बारे में हमारी पिछली बैठक में हमने क्या सीखा?
अब, खुदा की ओर से नई कहानी को सुनते हैं ।
पिछली कहानी को आपने किसके साथ साझा किया? उन्होंने कैसी प्रतिक्रिया दी?
पिछली बार जब हम मिले थे तो हमने कई ज़रूरतों को महसूस किया था और उन ज़रूरतों को पूरा करने की योजना बनाई थी। वह सब कैसा रहा?
अब, आइए परमेश्वर की ओर से एक नया सत्य पढ़ें...

मरक़ुस ११: २०-२५

२० अगले दिन वह सुबह-सवेरे अंजीर के उस दरख़्त के पास से गुज़रे जिस पर ईसा ने लानत भेजी थी। जब उन्होंने उस पर ग़ौर किया तो मालूम हुआ कि वह जड़ों तक सूख गया है। २१ तब पतरस को वह बात याद आई जो ईसा ने कल अंजीर के दरख़्त से की थी। उसने कहा, “उस्ताद, यह देखें! अंजीर के जिस दरख़्त पर आपने लानत भेजी थी वह सूख गया है।” २२ ईसा ने जवाब दिया, “अल्लाह पर ईमान रखो। २३ मैं तुमको सच बताता हूँ कि अगर कोई इस पहाड़ से कहे, ‘उठ, अपने आपको समुंदर में गिरा दे’ तो यह हो जाएगा। शर्त सिर्फ़ यह है कि वह शक न करे बल्कि ईमान रखे कि जो कुछ उसने कहा है वह उसके लिए हो जाएगा। २४ इसलिए मैं तुमको बताता हूँ, जब भी तुम दुआ करके कुछ माँगते हो तो ईमान रखो कि तुमको मिल गया है। फिर वह तुम्हें ज़रूर मिल जाएगा। २५ और जब तुम खड़े होकर दुआ करते हो तो अगर तुम्हें किसी से शिकायत हो तो पहले उसे मुआफ़ करो ताकि आसमान पर तुम्हारा बाप भी तुम्हारे गुनाहों को मुआफ़ करे।

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लागूकरण

अब कहानी को फ़िर से सुनते हैं।
खुदा के बारे में आप इस कहानी से क्या सिखते हैं?
इस कहानी से हम शिष्य बनाने के बारे में क्या सीखते हैं?
इस सप्ताह परमेश्वर ने आपको इस कहानी से जो दिखाया है उसे आप अपने जीवन में कैसे लागू करेंगे? आप कौन सा विशिष्ट कार्य या चीज़ करेंगे?
अब, आज का प्रशिक्षण वीडियो देखते है...
प्रशिक्षण वीडियो
आइए चर्चा करें कि हमने अभी क्या सीखा और शिष्य बनाते समय हम इसे कैसे लागू कर सकते हैं।
दोबारा मिलने से पहले आप इस बैठक से सीखी गई कोई बात किसके साथ साझा करेंगे?
जैसे हम इस मुलाक़ात के आख़िरी पड़ाव में है, आइए तय करते हैं की हम अगले हफ़्ते में कब मिलेंगे, और अगले मुलाक़ात की सहूलत कौन करेगा?
यह मुलाक़ात का समय अच्छा रहा, हम आपको प्रोत्साहित करना चाहते हैं, जो आप ने सीखा है उस पर लिखकर ध्यान दें, और अगले मुलाक़ात में आने से पहले, कहानी को फ़िर से पढ़ लें।