संगती

इब्राहीम की औलाद के नए मुलाक़ात में आपका ख़ैर-मक़्दम है, हमारी ज़िंदगी कैसी चल रही है, इसे जानते हुए शुरुआत करेंगे । पिछले हफ़्ते में आपके या आपके बिरादरी में खुदा ने ऐसा कोई काम किया है, जिसके लिए, आप खुदा को शुक्रिया अदा करना चाहते हैं?
अगली कहानी की शुरुआत करने से पहले, पिछले हफ़्ते में जिस कहानी से हम सीखे हैं, इस पर चर्चा करें।
आपके समुदाय में खोए हुए लोगों की क्या ज़रूरतें हैं, और हमने जो ज़रूरतें व्यक्त की हैं, उन्हें पूरा करने में हम एक-दूसरे की कैसे मदद कर सकते हैं?
प्रार्थना को बढ़ाने के आपके प्रयासों के माध्यम से परमेश्वर किस प्रकार कार्य कर रहा है? उत्तर प्राप्त प्रार्थना की कोई कहानी जिसके लिए हम उसकी स्तुति कर सकें?
शिष्य बनाने के बारे में हमारी पिछली बैठक में हमने क्या सीखा?
अब, खुदा की ओर से नई कहानी को सुनते हैं ।
पिछली कहानी को आपने किसके साथ साझा किया? उन्होंने कैसी प्रतिक्रिया दी?
पिछली बार जब हम मिले थे तो हमने कई ज़रूरतों को महसूस किया था और उन ज़रूरतों को पूरा करने की योजना बनाई थी। वह सब कैसा रहा?
अब, आइए परमेश्वर की ओर से एक नया सत्य पढ़ें...

आमाल १६: ११-१५

११ हम त्रोआस में जहाज़ पर सवार होकर सीधे जज़ीराए-समुतराके के लिए रवाना हुए। फिर अगले दिन आगे निकलकर नयापुलिस पहुँचे। १२ वहाँ जहाज़ से उतरकर हम फ़िलिप्पी चले गए, जो सूबा मकिदुनिया के उस ज़िले का सदर शहर था और रोमी नौआबादी था। इस शहर में हम कुछ दिन ठहरे। १३ सबत के दिन हम शहर से निकलकर दरिया के किनारे गए, जहाँ हमारी तवक़्क़ो थी कि यहूदी दुआ के लिए जमा होंगे। वहाँ हम बैठकर कुछ ख़वातीन से बात करने लगे जो इकट्ठी हुई थीं। १४ उनमें से थुआतीरा शहर की एक औरत थी जिसका नाम लुदिया था। उसका पेशा क़ीमती अरग़वानी रंग के कपड़े की तिजारत था और वह अल्लाह की परस्तिश करनेवाली ग़ैरयहूदी थी। ख़ुदावंद ने उसके दिल को खोल दिया, और उसने पौलुस की बातों पर तवज्जुह दी। १५ उसके और उसके घरवालों के बपतिस्मा लेने के बाद उसने हमें अपने घर में ठहरने की दावत दी। उसने कहा, “अगर आप समझते हैं कि मैं वाक़ई ख़ुदावंद पर ईमान लाई हूँ तो मेरे घर आकर ठहरें।” यों उसने हमें मजबूर किया।

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लागूकरण

अब कहानी को फ़िर से सुनते हैं।
खुदा के बारे में आप इस कहानी से क्या सिखते हैं?
इस कहानी से हम शिष्य बनाने के बारे में क्या सीखते हैं?
इस सप्ताह परमेश्वर ने आपको इस कहानी से जो दिखाया है उसे आप अपने जीवन में कैसे लागू करेंगे? आप कौन सा विशिष्ट कार्य या चीज़ करेंगे?
अब, आज का प्रशिक्षण वीडियो देखते है...
प्रशिक्षण वीडियो
आइए चर्चा करें कि हमने अभी क्या सीखा और शिष्य बनाते समय हम इसे कैसे लागू कर सकते हैं।
दोबारा मिलने से पहले आप इस बैठक से सीखी गई कोई बात किसके साथ साझा करेंगे?
जैसे हम इस मुलाक़ात के आख़िरी पड़ाव में है, आइए तय करते हैं की हम अगले हफ़्ते में कब मिलेंगे, और अगले मुलाक़ात की सहूलत कौन करेगा?
यह मुलाक़ात का समय अच्छा रहा, हम आपको प्रोत्साहित करना चाहते हैं, जो आप ने सीखा है उस पर लिखकर ध्यान दें, और अगले मुलाक़ात में आने से पहले, कहानी को फ़िर से पढ़ लें।