संगती

इब्राहीम की औलाद के नए मुलाक़ात में आपका ख़ैर-मक़्दम है, हमारी ज़िंदगी कैसी चल रही है, इसे जानते हुए शुरुआत करेंगे । पिछले हफ़्ते में आपके या आपके बिरादरी में खुदा ने ऐसा कोई काम किया है, जिसके लिए, आप खुदा को शुक्रिया अदा करना चाहते हैं?
अगली कहानी की शुरुआत करने से पहले, पिछले हफ़्ते में जिस कहानी से हम सीखे हैं, इस पर चर्चा करें।
आपके समुदाय में खोए हुए लोगों की क्या ज़रूरतें हैं, और हमने जो ज़रूरतें व्यक्त की हैं, उन्हें पूरा करने में हम एक-दूसरे की कैसे मदद कर सकते हैं?
प्रार्थना को बढ़ाने के आपके प्रयासों के माध्यम से परमेश्वर किस प्रकार कार्य कर रहा है? उत्तर प्राप्त प्रार्थना की कोई कहानी जिसके लिए हम उसकी स्तुति कर सकें?
शिष्य बनाने के बारे में हमारी पिछली बैठक में हमने क्या सीखा?
अब, खुदा की ओर से नई कहानी को सुनते हैं ।
पिछली कहानी को आपने किसके साथ साझा किया? उन्होंने कैसी प्रतिक्रिया दी?
पिछली बार जब हम मिले थे तो हमने कई ज़रूरतों को महसूस किया था और उन ज़रूरतों को पूरा करने की योजना बनाई थी। वह सब कैसा रहा?
अब, आइए परमेश्वर की ओर से एक नया सत्य पढ़ें...

आमाल २: ३७-४७

३७ पतरस की यह बातें सुनकर लोगों के दिल छिद गए। उन्होंने पतरस और बाक़ी रसूलों से पूछा, “भाइयो, फिर हम क्या करें?” ३८ पतरस ने जवाब दिया, “आपमें से हर एक तौबा करके ईसा के नाम पर बपतिस्मा ले ताकि आपके गुनाह मुआफ़ कर दिए जाएँ। फिर आपको रूहुल-क़ुद्स की नेमत मिल जाएगी। ३९ क्योंकि यह देने का वादा आपसे और आपके बच्चों से किया गया है, बल्कि उनसे भी जो दूर के हैं, उन सबसे जिन्हें रब हमारा ख़ुदा अपने पास बुलाएगा।” ४० पतरस ने मज़ीद बहुत-सी बातों से उन्हें नसीहत की और समझाया कि “इस टेढ़ी नसल से निकलकर नजात पाएँ।” ४१ जिन्होंने पतरस की बात क़बूल की उनका बपतिस्मा हुआ। यों उस दिन जमात में तक़रीबन ३,००० अफ़राद का इज़ाफ़ा हुआ। ४२ यह ईमानदार रसूलों से तालीम पाने, रिफ़ाक़त रखने और रिफ़ाक़ती खानों और दुआओं में शरीक होते रहे। ४३ सब पर ख़ौफ़ छा गया और रसूलों की तरफ़ से बहुत-से मोजिज़े और इलाही निशान दिखाए गए। ४४ जो भी ईमान लाते थे वह एक जगह जमा होते थे। उनकी हर चीज़ मुश्तरका होती थी। ४५ अपनी मिलकियत और माल फ़रोख़्त करके उन्होंने हर एक को उस की ज़रूरत के मुताबिक़ दिया। ४६ रोज़ाना वह यकदिली से बैतुल-मुक़द्दस में जमा होते रहे। साथ साथ वह मसीह की याद में अपने घरों में रोटी तोड़ते, बड़ी ख़ुशी और सादगी से रिफ़ाक़ती खाना खाते ४७ और अल्लाह की तमजीद करते रहे। उस वक़्त वह तमाम लोगों के मंज़ूरे-नज़र थे। और ख़ुदावंद रोज़ बरोज़ जमात में नजातयाफ़्ता लोगों का इज़ाफ़ा करता रहा।

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लागूकरण

अब कहानी को फ़िर से सुनते हैं।
खुदा के बारे में आप इस कहानी से क्या सिखते हैं?
इस कहानी से हम शिष्य बनाने के बारे में क्या सीखते हैं?
इस सप्ताह परमेश्वर ने आपको इस कहानी से जो दिखाया है उसे आप अपने जीवन में कैसे लागू करेंगे? आप कौन सा विशिष्ट कार्य या चीज़ करेंगे?
अब, आज का प्रशिक्षण वीडियो देखते है...
प्रशिक्षण वीडियो
आइए चर्चा करें कि हमने अभी क्या सीखा और शिष्य बनाते समय हम इसे कैसे लागू कर सकते हैं।
अब बात करते हैं खोए हुए को शामिल करने की। पिछली बार मिलने के बाद हमने किससे बातचीत की और हम उनके लिए प्रार्थना कैसे कर सकते हैं?
इस सप्ताह इन लोगों और अन्य लोगों के साथ अच्छी बातचीत करने के लिए हम उनके साथ कैसे जुड़ेंगे?
जैसे हम इस मुलाक़ात के आख़िरी पड़ाव में है, आइए तय करते हैं की हम अगले हफ़्ते में कब मिलेंगे, और अगले मुलाक़ात की सहूलत कौन करेगा?
यह मुलाक़ात का समय अच्छा रहा, हम आपको प्रोत्साहित करना चाहते हैं, जो आप ने सीखा है उस पर लिखकर ध्यान दें, और अगले मुलाक़ात में आने से पहले, कहानी को फ़िर से पढ़ लें।