१९ हे परमेश्वर, तेरा धर्म अति महान् है।
तू जिस ने महाकार्य किए हैं,
हे परमेश्वर, तेरे तुल्य कौन है?
२० तू ने तो हम को बहुत से कठिन कष्ट
दिखाए हैं,
परन्तु अब तू फिर से हम को जिलाएगा;
और पृथ्वी के गहिरे गड़हे में से उबार लेगा।
२१ तू मेरे सम्मान को बढ़ाएगा,
और फिरकर मुझे शान्ति देगा।
२२ हे मेरे परमेश्वर,
मैं भी तेरी सच्चाई का धन्यवाद सारंगी
बजाकर गाऊँगा;
हे इस्राएल के पवित्र, मैं वीणा बजाकर तेरा
भजन गाऊँगा।
२३ जब मैं तेरा भजन गाऊँगा, तब अपने मुँह से
और अपने प्राण से भी, जो तू ने बचा
लिया है, जयजयकार करूँगा।
२४ मैं तेरे धर्म की चर्चा दिन भर करता रहूँगा;
क्योंकि जो मेरी हानि के अभिलाषी थे,
उनकी आशा टूट गई और मुँह काले हो गए हैं।