१ तब आत्मा यीशु को जंगल में ले गया ताकि इब्लीस से उस की परीक्षा हो। २ वह चालीस दिन, और चालीस रात, निराहार रहा, तब उसे भूख लगी। ३ तब परखनेवाले ने पास आकर उस से कहा, “यदि तू परमेश्वर का पुत्र है, तो कह दे, कि ये पत्थर रोटियाँ बन जाएँ।” ४ यीशु ने उत्तर दिया : “लिखा है,
‘मनुष्य केवल रोटी ही से नहीं,
परन्तु हर एक वचन से जो परमेश्वर के
मुख से निकलता है,
जीवित रहेगा।’ ”
५ तब इब्लीस उसे पवित्र नगर में ले गया और मन्दिर के कंगूरे पर खड़ा किया, ६ और उससे कहा, “यदि तू परमेश्वर का पुत्र है, तो अपने आप को नीचे गिरा दे; क्योंकि लिखा है :
‘वह तेरे विषय में अपने स्वर्गदूतों को आज्ञा
देगा,
और वे तुझे हाथों–हाथ उठा लेंगे;
कहीं ऐसा न हो कि तेरे पाँवों में पत्थर से
ठेस लगे।’ ”
७ यीशु ने उससे कहा, “यह भी लिखा है : ‘तू प्रभु अपने परमेश्वर की परीक्षा न कर।’ ”
८ फिर इब्लीस उसे एक बहुत ऊँचे पहाड़ पर ले गया और सारे जगत के राज्य और उसका वैभव दिखाकर ९ उससे कहा, “यदि तू गिरकर मुझे प्रणाम करे, तो मैं यह सब कुछ तुझे दे दूँगा।” १० तब यीशु ने उससे कहा, “हे शैतान दूर हो जा, क्योंकि लिखा है :
‘तू प्रभु अपने परमेश्वर को प्रणाम कर,
और केवल उसी की उपासना कर।”’
११ तब शैतान उसके पास से चला गया, और देखो, स्वर्गदूत आकर उसकी सेवा करने लगे।
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