१७ “यह न समझो, कि मैं व्यवस्था या भविष्यद्वक्ताओं की पुस्तकों को लोप करने आया हूँ, लोप करने नहीं, परन्तु पूरा करने आया हूँ। १८ क्योंकि मैं तुम से सच कहता हूँ, कि जब तक आकाश और पृथ्वी टल न जाएँ, तब तक व्यवस्था से एक मात्रा या एक बिन्दु भी बिना पूरा हुए नहीं टलेगा। १९ इसलिये जो कोई इन छोटी से छोटी आज्ञाओं में से किसी एक को तोड़े, और वैसा ही लोगों को सिखाए, वह स्वर्ग के राज्य में सबसे छोटा कहलाएगा; परन्तु जो कोई उन आज्ञाओं का पालन करेगा और उन्हें सिखाएगा, वही स्वर्ग के राज्य में महान् कहलाएगा। २० क्योंकि मैं तुम से कहता हूँ, कि यदि तुम्हारी धार्मिकता शास्त्रियों और फरीसियों की धार्मिकता से बढ़कर न हो, तो तुम स्वर्ग के राज्य में कभी प्रवेश करने न पाओगे।
२१ “तुम सुन चुके हो, कि पूर्वकाल के लोगों से कहा गया था कि ‘हत्या न करना’, और ‘जो कोई हत्या करेगा वह कचहरी में दण्ड के योग्य होगा।’ २२ परन्तु मैं तुम से यह कहता हूँ, कि जो कोई अपने भाई पर क्रोध करेगा, वह कचहरी में दण्ड के योग्य होगा, और जो कोई अपने भाई को निकम्मा कहेगा वह महासभा में दण्ड के योग्य होगा; और जो कोई कहे ‘अरे मूर्ख’ वह नरक की आग के दण्ड के योग्य होगा। २३ इसलिये यदि तू अपनी भेंट वेदी पर लाए, और वहाँ तू स्मरण करे, कि तेरे भाई के मन में तेरे लिये कुछ विरोध है, २४ तो अपनी भेंट वहीं वेदी के सामने छोड़ दे, और जाकर पहले अपने भाई से मेल मिलाप कर और तब आकर अपनी भेंट चढ़ा। २५ जब तक तू अपने मुद्दई के साथ मार्ग ही में है, उस से झटपट मेल मिलाप कर ले कहीं ऐसा न हो कि मुद्दई तुझे हाकिम को सौंपे, और हाकिम तुझे सिपाही को सौंप दे, और तू बन्दीगृह में डाल दिया जाए। २६ मैं तुझ से सच कहता हूँ कि जब तक तू कौड़ी–कौड़ी भर न दे तब तक वहाँ से छूटने न पाएगा।
२७ “तुम सुन चुके हो कि कहा गया था, ‘व्यभिचार न करना।’ २८ परन्तु मैं तुम से यह कहता हूँ, कि जो कोई किसी स्त्री पर कुदृष्टि डाले वह अपने मन में उस से व्यभिचार कर चुका। २९ यदि तेरी दाहिनी आँख तुझे ठोकर खिलाए, तो उसे निकालकर फेंक दे; क्योंकि तेरे लिये यही भला है कि तेरे अंगों में से एक नष्ट हो जाए और तेरा सारा शरीर नरक में न डाला जाए। ३० यदि तेरा दाहिना हाथ तुझे ठोकर खिलाए, तो उस को काटकर फेंक दे; क्योंकि तेरे लिये यही भला है कि तेरे अंगों में से एक नष्ट हो जाए और तेरा सारा शरीर नरक में न डाला जाए।
३१ “यह भी कहा गया था, ‘जो कोई अपनी पत्नी को तलाक देना चाहे, तो उसे त्यागपत्र दे।’ ३२ परन्तु मैं तुम से यह कहता हूँ कि जो कोई अपनी पत्नी को व्यभिचार के सिवा किसी और कारण से तलाक दे, तो वह उससे व्यभिचार करवाता है; और जो कोई उस त्यागी हुई से विवाह करे, वह व्यभिचार करता है।
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