२७ जब यीशु वहाँ से आगे बढ़ा, तो दो अंधे उसके पीछे यह पुकारते हुए चले, “हे दाऊद की सन्तान, हम पर दया कर!” २८ जब वह घर में पहुँचा, तो वे अंधे उसके पास आए, और यीशु ने उनसे कहा, “क्या तुम्हें विश्वास है कि मैं यह कर सकता हूँ?” उन्होंने उससे कहा, “हाँ, प्रभु!” २९ तब उसने उनकी आँखें छूकर कहा, “तुम्हारे विश्वास के अनुसार तुम्हारे लिये हो।” ३० और उनकी आँखें खुल गईं। यीशु ने उन्हें चिताकर कहा, “सावधान, कोई इस बात को न जाने।” ३१ पर उन्होंने निकलकर सारे देश में उसका यश फैला दिया।
३२ जब वे बाहर जा रहे थे, तो देखो, लोग एक गूँगे को जिसमें दुष्टात्मा थी, उसके पास लाए; ३३ और जब दुष्टात्मा निकाल दी गई, तो गूँगा बोलने लगा। इस पर भीड़ ने अचम्भा करके कहा, “इस्राएल में ऐसा कभी नहीं देखा गया।” ३४ परन्तु फरीसियों ने कहा, “यह तो दुष्टात्माओं के सरदार की सहायता से दुष्टात्माओं को निकालता है।”
Copyright © Bible Society of India, 2015. Used with permission. All rights reserved worldwide.