३५ यीशु सब नगरों और गाँवों में फिरता रहा और उनके आराधनालयों में उपदेश करता, और राज्य का सुसमाचार प्रचार करता, और हर प्रकार की बीमारी और दुर्बलता को दूर करता रहा। ३६ जब उसने भीड़ को देखा तो उसको लोगों पर तरस आया, क्योंकि वे उन भेड़ों के समान जिनका कोई रखवाला न हो, व्याकुल और भटके हुए से थे। ३७ तब उसने अपने चेलों से कहा, “पके खेत तो बहुत हैं पर मजदूर थोड़े हैं। ३८ इसलिये खेत के स्वामी से विनती करो कि वह अपने खेत काटने के लिए मजदूर भेज दे।”
१ फिर उसने अपने बारह चेलों को पास बुलाकर, उन्हें अशुद्ध आत्माओं पर अधिकार दिया कि उन्हें निकालें और सब प्रकार की बीमारियों और सब प्रकार की दुर्बलताओं को दूर करें।
२ इन बारह प्रेरितों के नाम ये हैं : पहला शमौन, जो पतरस कहलाता है, और उसका भाई अन्द्रियास; जब्दी का पुत्र याकूब, और उसका भाई यूहन्ना; ३ फिलिप्पुस, और बरतुल्मै, थोमा, और महसूल लेनेवाला मत्ती, हलफई का पुत्र याकूब, और तद्दै, ४ शमौन कनानी, और यहूदा इस्करियोती जिसने उसे पकड़वा भी दिया।
५ इन बारहों को यीशु ने यह आज्ञा देकर भेजा : “अन्यजातियों की ओर न जाना, और सामरियों के किसी नगर में प्रवेश न करना। ६ परन्तु इस्राएल के घराने ही की खोई हुई भेड़ों के पास जाना। ७ और चलते–चलते यह प्रचार करो : ‘स्वर्ग का राज्य निकट आ गया है।’ ८ बीमारों को चंगा करो, मरे हुओं को जिलाओ, कोढ़ियों को शुद्ध करो, दुष्टात्माओं को निकालो। तुम ने सेंतमेंत पाया है, सेंतमेंत दो। ९ अपने पटुकों में न तो सोना, और न रूपा, और न ताँबा रखना; १० मार्ग के लिये न झोली रखो, न दो कुरते, न जूते और न लाठी लो, क्योंकि मजदूर को उसका भोजन मिलना चाहिए।
११ “जिस किसी नगर या गाँव में जाओ, तो पता लगाओ कि वहाँ कौन योग्य है। और जब तक वहाँ से न निकलो, उसी के यहाँ रहो। १२ घर में प्रवेश करते हुए उसको आशीष देना। १३ यदि उस घर के लोग योग्य होंगे तो तुम्हारा कल्याण उन पर पहुँचेगा, परन्तु यदि वे योग्य न हों तो तुम्हारा कल्याण तुम्हारे पास लौट आएगा। १४ जो कोई तुम्हें ग्रहण न करे और तुम्हारी बातें न सुने, उस घर या उस नगर से निकलते हुए अपने पाँवों की धूल झाड़ डालो। १५ मैं तुम से सच कहता हूँ कि न्याय के दिन उस नगर की दशा से सदोम और अमोरा के देश की दशा अधिक सहने योग्य होगी।
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