यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाला

संगती

परमेश्वर को खोजने के नए सत्र में आपका स्वागत है। हमारा जीवन कैसा चल रहा है, इसे जानते हुए शुरुआत करेंगे । बीते सप्ताह में आपके या आपके समुदाय में परमेश्वर ने ऐसा कोई काम किया है, जिसके लिए, आप परमेश्वर को धन्यवाद देना चाहते हैं?
अगली कहानी की शुरुआत करने से पहले, बीते सप्ताह में जिस कहानी से हम सीखे हैं, इस पर वार्तालाभ करें।
किस प्रकार से आप ने इस कहानी को अपने जीवन में लागु किया?
यह कहानी आप ने किसके साथ साझा की, एवं उनकी प्रतिक्रिया क्या थी?
अब, परमेश्वर की ओर से नई कहानी को सुनते हैं।

मत्ती ११:१-१९

१ जब यीशु अपने बारह चेलों को आज्ञा दे चुका, तो वह उनके नगरों में उपदेश और प्रचार करने को वहाँ से चला गया। २ यूहन्ना ने बन्दीगृह में मसीह के कामों का समाचार सुना और अपने चेलों को उससे यह पूछने भेजा, ३ “क्या आनेवाला तू ही है, या हम किसी दूसरे की बाट जोहें?” ४ यीशु ने उत्तर दिया, “जो कुछ तुम सुनते हो और देखते हो, वह सब जाकर यूहन्ना से कह दो, ५ कि अंधे देखते हैं और लंगड़े चलते फिरते हैं, कोढ़ी शुद्ध किए जाते हैं और बहिरे सुनते हैं, मुर्दे जिलाए जाते हैं, और कंगालों को सुसमाचार सुनाया जाता है। ६ और धन्य है वह, जो मेरे कारण ठोकर न खाए।” ७ जब वे वहाँ से चल दिए, तो यीशु यूहन्ना के विषय में लोगों से कहने लगा, “तुम जंगल में क्या देखने गए थे? क्या हवा से हिलते हुए सरकण्डे को? ८ फिर तुम क्या देखने गए थे? क्या कोमल वस्त्र पहिने हुए मनुष्य को? देखो, जो कोमल वस्त्र पहिनते हैं, वे राजभवनों में रहते हैं। ९ तो फिर क्यों गए थे? क्या किसी भविष्यद्वक्‍ता को देखने को? हाँ, मैं तुम से कहता हूँ कि भविष्यद्वक्‍ता से भी बड़े को। १० यह वही है जिसके विषय में लिखा है : ‘देख, मैं अपने दूत को तेरे आगे भेजता हूँ, जो तेरे आगे तेरा मार्ग तैयार करेगा।’ ११ मैं तुम से सच कहता हूँ कि जो स्त्रियों से जन्मे हैं, उनमें से यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से कोई बड़ा नहीं हुआ; पर जो स्वर्ग के राज्य में छोटे से छोटा है वह उससे बड़ा है। १२ यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले के दिनों से अब तक स्वर्ग के राज्य में बलपूर्वक प्रवेश होता रहा है, और बलवान उसे छीन लेते हैं। १३ यूहन्ना तक सारे भविष्यद्वक्‍ता और व्यवस्था भविष्यद्वाणी करते रहे। १४ और चाहो तो मानो कि एलिय्याह जो आनेवाला था, वह यही है। १५ जिस के सुनने के कान हों, वह सुन ले। १६ “मैं इस समय के लोगों की उपमा किससे दूँ? वे उन बालकों के समान हैं, जो बाजारों में बैठे हुए एक दूसरे से पुकार कर कहते हैं : १७ ‘हम ने तुम्हारे लिये बाँसली बजाई, और तुम न नाचे; हम ने विलाप किया, और तुम ने छाती नहीं पीटी।’ १८ क्योंकि यूहन्ना न खाता आया और न पीता, और वे कहते हैं, ‘उसमें दुष्‍टात्मा है।’ १९ मनुष्य का पुत्र खाता–पीता आया, और वे कहते हैं ‘देखो, पेटू और पियक्‍कड़ मनुष्य, महसूल लेनेवालों और पापियों का मित्र!’ पर ज्ञान अपने कामों से सच्‍चा ठहराया गया है।”

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लागूकरण

अब कहानी को फिर से सुनते हैं।
परमेश्वर के बारे में आप इस कहानी से क्या सिखते हैं?
इस कहानी से आप अपने सहित लोगों के बारे में क्या सीखते हैं?
यह कहानी आप अपने जीवन में कैसे लागु करेंगे? क्या ऐसी कोई आज्ञा है, जो पालन करना है? अनुसरण करने हेतु कोई उदहारण है? या फिर कोई पाप जिससे अपने आपको दूर करने की जरुरत है?
सत्य का संचय नहीं करना चाहिए, किसी ने आप के साथ सत्य साझा किया, जिससे आप को लाभ प्राप्त हुआ है, तो, आप आने वाले सप्ताह में, किस व्यक्ति के साथ इस कहानी को साझा करेंगे?
जैसे ही हमारी सत्र समाप्त होने को है, आइए तय करें कि अगली कहानी सुनने के लिए हम दोबारा कब मिलेंगे और चुनें कि हमारी अगली सत्र की सुविधा कौन प्रदान करेगा?
यह संगति का समय अच्छा रहा, हम आपको प्रोत्साहित करना चाहते हैं, उस बात को लिखने के लिए जो आप करने वाले है और अगले सत्र में आने पूर्व, कहानी को फिर से पढ़ लें।

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