५३ जब यीशु ये सब दृष्टान्त कह चुका, तो वहाँ से चला गया। ५४ और अपने नगर में आकर उनके आराधनालय में उन्हें ऐसा उपदेश देने लगा कि वे चकित होकर कहने लगे, “इसको यह ज्ञान और सामर्थ्य के काम कहाँ से मिले? ५५ क्या यह बढ़ई का बेटा नहीं? और क्या इसकी माता का नाम मरियम और इसके भाइयों के नाम याकूब, यूसुफ, शमौन और यहूदा नहीं?* ५६ और क्या इसकी सब बहिनें हमारे बीच में नहीं रहतीं? फिर इसको यह सब कहाँ से मिला?”
५७ इस प्रकार उन्होंने उसके कारण ठोकर खाई, पर यीशु ने उनसे कहा, “भविष्यद्वक्ता का अपने देश और अपने घर को छोड़ और कहीं निरादर नहीं होता।” ५८ और उसने वहाँ उनके अविश्वास के कारण बहुत से सामर्थ्य के काम नहीं किए।
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