३२ यीशु ने अपने चेलों को बुलाया और कहा, “मुझे इस भीड़ पर तरस आता है, क्योंकि वे तीन दिन से मेरे साथ हैं और उनके पास कुछ खाने को नहीं है। मैं उन्हें भूखा विदा करना नहीं चाहता, कहीं ऐसा न हो कि मार्ग में थककर रह जाएँ।” ३३ चेलों ने उससे कहा, “हमें इस जंगल में कहाँ से इतनी रोटी मिलेगी कि हम इतनी बड़ी भीड़ को तृप्त करें?” ३४ यीशु ने उनसे पूछा, “तुम्हारे पास कितनी रोटियाँ हैं?” उन्होंने कहा, “सात, और थोड़ी सी छोटी मछलियाँ।” ३५ तब उसने लोगों को भूमि पर बैठने की आज्ञा दी। ३६ और उन सात रोटियों और मछलियों को लिया, धन्यवाद करके तोड़ा, और अपने चेलों को देता गया, और चेले लोगों को। ३७ इस प्रकार सब खाकर तृप्त हो गए और चेलों ने बचे हुए टुकड़ों से भरे हुए सात टोकरे उठाए। ३८ खानेवाले स्त्रियों और बालकों को छोड़ चार हज़ार पुरुष थे। ३९ तब वह भीड़ को विदा करके नाव पर चढ़ गया, और मगदन देश की सीमा में आया।
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