२२ जब वे गलील में थे, तो यीशु ने उन से कहा, “मनुष्य का पुत्र मनुष्यों के हाथ में पकड़वाया जाएगा; २३ वे उसे मार डालेंगे, और वह तीसरे दिन जी उठेगा।” इस पर वे बहुत उदास हुए।
२४ जब वे कफरनहूम पहुँचे, तो मन्दिर का कर लेनेवालों ने पतरस के पास आकर पूछा, “क्या तुम्हारा गुरु मन्दिर का कर नहीं देता?” २५ उसने कहा, “हाँ, देता है।” जब वह घर में आया, तो यीशु ने उसके पूछने से पहले ही उससे कहा, “हे शमौन, तू क्या सोचता है? पृथ्वी के राजा महसूल या कर किन से लेते हैं? अपने पुत्रों से या परायों से?” २६ पतरस ने उससे कहा, “परायों से।” यीशु ने उस से कहा, “तो पुत्र बच गए। २७ तौभी इसलिये कि हम उन्हें ठोकर न खिलाएँ, तू झील के किनारे जाकर बंसी डाल, और जो मछली पहले निकले, उसे ले; उसका मुँह खोलने पर तुझे एक सिक्का मिलेगा, उसी को लेकर मेरे और अपने बदले उन्हें दे देना।”
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