रहम दिल होना, भाग २

संगती

इब्राहीम की औलाद के नए मुलाक़ात में आपका ख़ैर-मक़्दम है, हमारी ज़िंदगी कैसी चल रही है, इसे जानते हुए शुरुआत करेंगे । पिछले हफ़्ते में आपके या आपके बिरादरी में खुदा ने ऐसा कोई काम किया है, जिसके लिए, आप खुदा को शुक्रिया अदा करना चाहते हैं?
अगली कहानी की शुरुआत करने से पहले, पिछले हफ़्ते में जिस कहानी से हम सीखे हैं, इस पर चर्चा करें।
किस प्रकार से आप ने इस कहानी को अपने ज़िंदगी में लागु किया?
यह कहानी आप ने किसके साथ बाँटा, एवं उनकी प्रतिक्रिया क्या थी?
अब, खुदा की ओर से नई कहानी को सुनते हैं।

२ कुरिंथियों ८:१-५

[१] भाइयो, हम आपकी तवज्जुह उस फ़ज़ल की तरफ़ दिलाना चाहते हैं जो अल्लाह ने सूबा मकिदुनिया की जमातों पर किया। [२] जिस मुसीबत में वह फँसे हुए हैं उससे उनकी सख़्त आज़माइश हुई। तो भी उनकी बेइंतहा ख़ुशी और शदीद ग़ुरबत का नतीजा यह निकला कि उन्होंने बड़ी फ़ैयाज़दिली से हदिया दिया। [३] मैं गवाह हूँ कि जितना वह दे सके उतना उन्होंने दे दिया बल्कि इससे भी ज़्यादा। अपनी ही तरफ़ से [४] उन्होंने बड़े ज़ोर से हमसे मिन्नत की कि हमें भी यहूदिया के मुक़द्दसीन की ख़िदमत करने का मौक़ा दें, हम भी देने के फ़ज़ल में शरीक होना चाहते हैं। [५] और उन्होंने हमारी उम्मीद से कहीं ज़्यादा किया! अल्लाह की मरज़ी से उनका पहला क़दम यह था कि उन्होंने अपने आपको ख़ुदावंद के लिए मख़सूस किया। उनका दूसरा क़दम यह था कि उन्होंने अपने आपको हमारे लिए मख़सूस किया।

२ कुरिंथियों ९:६-११

[६] याद रहे कि जो शख़्स बीज को बचा बचाकर बोता है उस की फ़सल भी उतनी कम होगी। लेकिन जो बहुत बीज बोता है उस की फ़सल भी बहुत ज़्यादा होगी। [७] हर एक उतना दे जितना देने के लिए उसने पहले अपने दिल में ठहरा लिया है। वह इसमें तकलीफ़ या मजबूरी महसूस न करे, क्योंकि अल्लाह उससे मुहब्बत रखता है जो ख़ुशी से देता है। [८] और अल्लाह इस क़ाबिल है कि आपको आपकी ज़रूरियात से कहीं ज़्यादा दे। फिर आपके पास हर वक़्त और हर लिहाज़ से काफ़ी होगा बल्कि इतना ज़्यादा कि आप हर क़िस्म का नेक काम कर सकेंगे। [९] चुनाँचे कलामे-मुक़द्दस में यह भी लिखा है, “उसने फ़ैयाज़ी से ज़रूरतमंदों में ख़ैरात बिखेर दी, उस की रास्तबाज़ी हमेशा तक क़ायम रहेगी।” [१०] ख़ुदा ही बीज बोनेवाले को बीज मुहैया करता और उसे खाने के लिए रोटी देता है। और वह आपको भी बीज देकर उसमें इज़ाफ़ा करेगा और आपकी रास्तबाज़ी की फ़सल उगने देगा। [११] हाँ, वह आपको हर लिहाज़ से दौलतमंद बना देगा और आप हर मौक़े पर फ़ैयाज़ी से दे सकेंगे। चुनाँचे जब हम आपका हदिया उनके पास ले जाएंगे जो ज़रूरतमंद हैं तो वह ख़ुदा का शुक्र करेंगे।

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लागूकरण

अब कहानी को फ़िर से सुनते हैं।
खुदा के बारे में आप इस कहानी से क्या सिखते हैं?
लोगों के बारे में आप इस कहानी से क्या सीखते हैं?
यह कहानी आप अपने ज़िंदगी में कैसे लागु करेंगे? क्या इस कहानी में कोई हुक्म है जिसे हमें मानना चाहिए या इसमें कोई मिसाल है जिसकी हम पैरवी करें या फ़िर इस कहानी के मुताबिक कोई गुनाह है जिससे हमें बचना चाहिए?
सच्चाई को जमा करने की ज़रूरत नहीं है । किसी ने आपके साथ सच्चाई को बाँटा है, जिसकी वजह से आपकी ज़िंदगी में कुछ फ़ायदा पहुँचा है। इसलिये आप आने वाले हफ़्ते में, किस व्यक्ति के साथ इस कहानी को बाँटेंगे?
जैसे हम इस मुलाक़ात के आख़िरी पड़ाव में है, आइए तय करते हैं की हम अगले हफ़्ते में कब मिलेंगे, और अगले मुलाक़ात की सहूलत कौन करेगा?
यह मुलाक़ात का समय अच्छा रहा, हम आपको प्रोत्साहित करना चाहते हैं, जो आप ने सीखा है उस पर लिखकर ध्यान दें, और अगले मुलाक़ात में आने से पहले, कहानी को फ़िर से पढ़ लें।

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