नींव ४

एक कलीसिया के रूप में चलना

जमात के काम करने के तरीके

आमाल २:१-५, २:१४, २:३६-४७

रहम दिल होना, भाग १

लूक़ा १२:१३-२१

रहम दिल होना, भाग २

२ कुरिंथियों ८:१-५, ९:६-११

अशाए-रब्बानी

लूक़ा २२:७-२०

दुआ

मत्ती ६:५-१५, लूक़ा १८:१-८, फ़िलिप्पियों ४:६-७

दूसरे शागिर्दों से मुहब्बत करना

यूहन्ना १३:१-१७, १३:३१-३५

अपने पड़ोसी से मुहब्बत करना

लूक़ा १०:२५-३७

किताबे-मुक़द्दस

रोमियों १५:४, इबरानियों ४:१२, २ तीमुथियुस ३:१४-१७

इबादत

ज़बूर ६८:३-४, ७१:१९-२४, १५०:१-६

१०

मोजिज़े

मत्ती ४:२३-२५, १०:५a, १०:७-८, यूहन्ना १४:१२-१४