किताबे-मुक़द्दस

संगती

इब्राहीम की औलाद के नए मुलाक़ात में आपका ख़ैर-मक़्दम है, हमारी ज़िंदगी कैसी चल रही है, इसे जानते हुए शुरुआत करेंगे । पिछले हफ़्ते में आपके या आपके बिरादरी में खुदा ने ऐसा कोई काम किया है, जिसके लिए, आप खुदा को शुक्रिया अदा करना चाहते हैं?
अगली कहानी की शुरुआत करने से पहले, पिछले हफ़्ते में जिस कहानी से हम सीखे हैं, इस पर चर्चा करें।
किस प्रकार से आप ने इस कहानी को अपने ज़िंदगी में लागु किया?
यह कहानी आप ने किसके साथ बाँटा, एवं उनकी प्रतिक्रिया क्या थी?
अब, खुदा की ओर से नई कहानी को सुनते हैं।

रोमियों १५:४

[४] यह सब कुछ हमें हमारी नसीहत के लिए लिखा गया ताकि हम साबितक़दमी और कलामे-मुक़द्दस की हौसलाअफ़्ज़ा बातों से उम्मीद पाएँ।

इबरानियों ४:१२

[१२] क्योंकि अल्लाह का कलाम ज़िंदा, मुअस्सिर और हर दोधारी तलवार से ज़्यादा तेज़ है। वह इनसान में से गुज़रकर उस की जान रूह से और उसके जोड़ों को गूदे से अलग कर लेता है। वही दिल के ख़यालात और सोच को जाँचकर उन पर फ़ैसला करने के क़ाबिल है।

२ तीमुथियुस ३:१४-१७

[१४] लेकिन आप ख़ुद उस पर क़ायम रहें जो आपने सीख लिया और जिस पर आपको यक़ीन आया है। क्योंकि आप अपने उस्तादों को जानते हैं [१५] और आप बचपन से मुक़द्दस सहीफ़ों से वाक़िफ़ हैं। अल्लाह का यह कलाम आपको वह हिकमत अता कर सकता है जो मसीह ईसा पर ईमान लाने से नजात तक पहुँचाती है। [१६] क्योंकि हर पाक नविश्ता अल्लाह के रूह से वुजूद में आया है और तालीम देने, मलामत करने, इसलाह करने और रास्तबाज़ ज़िंदगी गुज़ारने की तरबियत देने के लिए मुफ़ीद है। [१७] कलामे-मुक़द्दस का मक़सद यही है कि अल्लाह का बंदा हर लिहाज़ से क़ाबिल और हर नेक काम के लिए तैयार हो।

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लागूकरण

अब कहानी को फ़िर से सुनते हैं।
खुदा के बारे में आप इस कहानी से क्या सिखते हैं?
लोगों के बारे में आप इस कहानी से क्या सीखते हैं?
यह कहानी आप अपने ज़िंदगी में कैसे लागु करेंगे? क्या इस कहानी में कोई हुक्म है जिसे हमें मानना चाहिए या इसमें कोई मिसाल है जिसकी हम पैरवी करें या फ़िर इस कहानी के मुताबिक कोई गुनाह है जिससे हमें बचना चाहिए?
सच्चाई को जमा करने की ज़रूरत नहीं है । किसी ने आपके साथ सच्चाई को बाँटा है, जिसकी वजह से आपकी ज़िंदगी में कुछ फ़ायदा पहुँचा है। इसलिये आप आने वाले हफ़्ते में, किस व्यक्ति के साथ इस कहानी को बाँटेंगे?
जैसे हम इस मुलाक़ात के आख़िरी पड़ाव में है, आइए तय करते हैं की हम अगले हफ़्ते में कब मिलेंगे, और अगले मुलाक़ात की सहूलत कौन करेगा?
यह मुलाक़ात का समय अच्छा रहा, हम आपको प्रोत्साहित करना चाहते हैं, जो आप ने सीखा है उस पर लिखकर ध्यान दें, और अगले मुलाक़ात में आने से पहले, कहानी को फ़िर से पढ़ लें।

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