२८ “तुम क्या सोचते हो? किसी मनुष्य के दो पुत्र थे; उसने पहले के पास जाकर कहा, ‘हे पुत्र, आज दाख की बारी में काम कर।’ २९ उसने उत्तर दिया, ‘मैं नहीं जाऊँगा’, परन्तु बाद में पछता कर गया। ३० फिर पिता ने दूसरे के पास जाकर ऐसा ही कहा, उसने उत्तर दिया, ‘जी हाँ, जाता हूँ’, परन्तु नहीं गया। ३१ इन दोनों में से किसने पिता की इच्छा पूरी की?” उन्होंने कहा, “पहले ने।” यीशु ने उनसे कहा, “मैं तुम से सच कहता हूँ कि महसूल लेनेवाले और वेश्याएँ तुम से पहले परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करते हैं। ३२ क्योंकि यूहन्ना धर्म का मार्ग दर्शाते हुए तुम्हारे पास आया, और तुम ने उसका विश्वास न किया; पर महसूल लेनेवालों और वेश्याओं ने उसका विश्वास किया : और तुम यह देखकर बाद में भी न पछताए कि उसका विश्वास कर लेते। ३३ “एक और दृष्टान्त सुनो : एक गृहस्वामी था, जिसने दाख की बारी लगाई, उसके चारों ओर बाड़ा बाँधा, उसमें रस का कुंड खोदा और गुम्मट बनाया, और किसानों को उसका ठेका देकर परदेश चला गया। ३४ जब फल का समय निकट आया, तो उसने अपने दासों को उसका फल लेने के लिये किसानों के पास भेजा। ३५ पर किसानों ने उसके दासों को पकड़ के, किसी को पीटा, और किसी को मार डाला, और किसी पर पथराव किया। ३६ फिर उसने पहलों से अधिक और दासों को भेजा, और उन्होंने उनसे भी वैसा ही किया। ३७ अन्त में उसने अपने पुत्र को उनके पास यह सोच कर भेजा कि वे मेरे पुत्र का आदर करेंगे। ३८ परन्तु किसानों ने पुत्र को देखकर आपस में कहा, ‘यह तो वारिस है, आओ, इसे मार डालें और इसकी मीरास ले लें।’ ३९ अत: उन्होंने उसे पकड़ा और दाख की बारी से बाहर निकालकर मार डाला। ४० इसलिये जब दाख की बारी का स्वामी आएगा, तो उन किसानों के साथ क्या करेगा?” ४१ उन्होंने उससे कहा, “वह उन बुरे लोगों को बुरी रीति से नष्ट करेगा; और दाख की बारी का ठेका दूसरे किसानों को देगा, जो समय पर उसे फल दिया करेंगे।” ४२ यीशु ने उनसे कहा, “क्या तुमने कभी पवित्रशास्त्र में यह नहीं पढ़ा : ‘जिस पत्थर को राजमिस्त्रियों ने निकम्मा ठहराया था, वही कोने के सिरे का पत्थर हो गया? यह प्रभु की ओर से हुआ, और हमारी दृष्टि में अद्भुत है।’ ४३ इसलिये मैं तुम से कहता हूँ कि परमेश्वर का राज्य तुम से ले लिया जाएगा और ऐसी जाति को जो उसका फल लाए, दिया जाएगा। ४४ जो इस पत्थर पर गिरेगा, वह चकनाचूर हो जाएगा; और जिस पर वह गिरेगा, उसको पीस डालेगा।” ४५ प्रधान याजक और फरीसी उसके दृष्टान्तों को सुनकर समझ गए कि वह उनके विषय में कहता है। ४६ और उन्होंने उसे पकड़ना चाहा, परन्तु लोगों से डर गए क्योंकि वे उसे भविष्यद्वक्ता मानते थे।
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