१५ तब फरीसियों ने जाकर आपस में विचार किया कि उसको किस प्रकार बातों में फँसाएँ। १६ अत: उन्होंने अपने चेलों को हेरोदियों के साथ उसके पास यह कहने को भेजा, “हे गुरु, हम जानते हैं कि तू सच्चा है, और परमेश्वर का मार्ग सच्चाई से सिखाता है, और किसी की परवाह नहीं करता, क्योंकि तू मनुष्यों का मुँह देखकर बातें नहीं करता। १७ इसलिये हमें बता तू क्या सोचता है? कैसर को कर देना उचित है कि नहीं।” १८ यीशु ने उनकी दुष्टता जानकर कहा, “हे कपटियो, मुझे क्यों परखते हो? १९ कर का सिक्का मुझे दिखाओ।” तब वे उसके पास एक दीनार ले आए। २० उसने उनसे पूछा, “यह छाप और नाम किसका है?” २१ उन्होंने उससे कहा, “कैसर का।” तब उसने उनसे कहा, “जो कैसर का है, वह कैसर को; और जो परमेश्वर का है, वह परमेश्वर को दो।” २२ यह सुनकर उन्होंने अचम्भा किया, और उसे छोड़कर चले गए।
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