आनेवाला सताव

संगती

परमेश्वर को खोजने के नए सत्र में आपका स्वागत है। हमारा जीवन कैसा चल रहा है, इसे जानते हुए शुरुआत करेंगे । बीते सप्ताह में आपके या आपके समुदाय में परमेश्वर ने ऐसा कोई काम किया है, जिसके लिए, आप परमेश्वर को धन्यवाद देना चाहते हैं?
अगली कहानी की शुरुआत करने से पहले, बीते सप्ताह में जिस कहानी से हम सीखे हैं, इस पर वार्तालाभ करें।
किस प्रकार से आप ने इस कहानी को अपने जीवन में लागु किया?
यह कहानी आप ने किसके साथ साझा की, एवं उनकी प्रतिक्रिया क्या थी?
अब, परमेश्वर की ओर से नई कहानी को सुनते हैं।

मत्ती २४:१-५१

१ जब यीशु मन्दिर से निकलकर जा रहा था, तो उसके चेले उसको मन्दिर की रचना दिखाने के लिये उसके पास आए। २ उसने उनसे कहा, “तुम यह सब देख रहे हो न! मैं तुम से सच कहता हूँ, यहाँ पत्थर पर पत्थर भी न छूटेगा जो ढाया न जाएगा।” ३ जब वह जैतून पहाड़ पर बैठा था, तो चेलों ने एकान्त में उसके पास आकर कहा, “हमें बता कि ये बातें कब होंगी? तेरे आने का और जगत के अन्त का क्या चिह्न होगा?” ४ यीशु ने उनको उत्तर दिया, “सावधान रहो! कोई तुम्हें न भरमाने पाए, ५ क्योंकि बहुत से ऐसे होंगे जो मेरे नाम से आकर कहेंगे, ‘मैं मसीह हूँ’, और बहुतों को भरमाएँगे। ६ तुम लड़ाइयों और लड़ाइयों की चर्चा सुनोगे, तो घबरा न जाना क्योंकि इन का होना अवश्य है, परन्तु उस समय अन्त न होगा। ७ क्योंकि जाति पर जाति, और राज्य पर राज्य चढ़ाई करेगा, और जगह जगह अकाल पड़ेंगे, और भूकम्प होंगे। ८ ये सब बातें पीड़ाओं का आरम्भ होंगी। ९ तब वे क्लेश देने के लिये तुम्हें पकड़वाएँगे, और तुम्हें मार डालेंगे, और मेरे नाम के कारण सब जातियों के लोग तुम से बैर रखेंगे। १० तब बहुत से ठोकर खाएँगे, और एक दूसरे को पकड़वाएँगे, और एक दूसरे से बैर रखेंगे। ११ बहुत से झूठे भविष्यद्वक्‍ता उठ खड़े होंगे, और बहुतों को भरमाएँगे। १२ अधर्म के बढ़ने से बहुतों का प्रेम ठण्डा पड़ जाएगा, १३ परन्तु जो अन्त तक धीरज धरे रहेगा, उसी का उद्धार होगा। १४ और राज्य का यह सुसमाचार सारे जगत में प्रचार किया जाएगा, कि सब जातियों पर गवाही हो, तब अन्त आ जाएगा। १५ “इसलिये जब तुम उस उजाड़नेवाली घृणित वस्तु को जिसकी चर्चा दानिय्येल भविष्यद्वक्‍ता के द्वारा हुई थी, पवित्रस्थान में खड़ी हुई देखो (जो पढ़े, वह समझे), १६ तब जो यहूदिया में हों वे पहाड़ों पर भाग जाएँ। १७ जो छत पर हो, वह अपने घर में से सामान लेने को न उतरे; १८ और जो खेत में हो, वह अपना कपड़ा लेने को पीछे न लौटे। १९ “उन दिनों में जो गर्भवती और दूध पिलाती होंगी, उन के लिये हाय, हाय। २० प्रार्थना किया करो कि तुम्हें जाड़े में या सब्त के दिन भागना न पड़े। २१ क्योंकि उस समय ऐसा भारी क्लेश होगा, जैसा जगत के आरम्भ से न अब तक हुआ और न कभी होगा। २२ यदि वे दिन घटाए न जाते तो कोई प्राणी न बचता, परन्तु चुने हुओं के कारण वे दिन घटाए जाएँगे। २३ उस समय यदि कोई तुम से कहे, ‘देखो, मसीह यहाँ है!’ या ‘वहाँ है!’ तो विश्‍वास न करना। २४ “क्योंकि झूठे मसीह और झूठे भविष्यद्वक्‍ता उठ खड़े होंगे, और बड़े चिह्न, और अद्भुत काम दिखाएँगे कि यदि हो सके तो चुने हुओं को भी भरमा दें। २५ देखो, मैं ने पहले से तुम से यह सब कुछ कह दिया है। २६ इसलिये यदि वे तुम से कहें, ‘देखो, वह जंगल में है’, तो बाहर न निकल जाना; या ‘देखो, वह कोठरियों में है’, तो विश्‍वास न करना।* २७ “क्योंकि जैसे बिजली पूर्व से निकलकर पश्‍चिम तक चमकती है, वैसे ही मनुष्य के पुत्र का भी आना होगा। २८ जहाँ लोथ हो, वहीं गिद्ध इकट्ठे होंगे। २९ “उन दिनों के क्लेश के तुरन्त बाद सूर्य अन्धियारा हो जाएगा, और चन्द्रमा का प्रकाश जाता रहेगा, और तारे आकाश से गिर पड़ेंगे और आकाश की शक्‍तियाँ हिलाई जाएँगी। ३० तब मनुष्य के पुत्र का चिह्न आकाश में दिखाई देगा, और तब पृथ्वी के सब कुलों के लोग छाती पीटेंगे; और मनुष्य के पुत्र को बड़ी सामर्थ्य और ऐश्‍वर्य के साथ आकाश के बादलों पर आते देखेंगे। ३१ वह तुरही के बड़े शब्द के साथ अपने दूतों को भेजेगा, और वे आकाश के इस छोर से उस छोर तक, चारों दिशाओं से उसके चुने हुओं को इकट्ठा करेंगे। ३२ “अंजीर के पेड़ से यह दृष्‍टान्त सीखो : जब उसकी डाली कोमल हो जाती और पत्ते निकलने लगते हैं, तो तुम जान लेते हो कि ग्रीष्म काल निकट है। ३३ इसी रीति से जब तुम इन सब बातों को देखो, तो जान लो कि वह निकट है, वरन् द्वार ही पर है। ३४ मैं तुम से सच कहता हूँ कि जब तक ये सब बातें पूरी न हो लें, तब तक इस पीढ़ी का अन्त नहीं होगा। ३५ आकाश और पृथ्वी टल जाएँगे, परन्तु मेरी बातें कभी न टलेंगी। ३६ “उस दिन और उस घड़ी के विषय में कोई नहीं जानता, न स्वर्ग के दूत और न पुत्र, परन्तु केवल पिता। ३७ जैसे नूह के दिन थे, वैसा ही मनुष्य के पुत्र का आना भी होगा। ३८ क्योंकि जैसे जल–प्रलय से पहले के दिनों में, जिस दिन तक कि नूह जहाज पर न चढ़ा, उस दिन तक लोग खाते–पीते थे, और उनमें विवाह होते थे। ३९ और जब तक जल–प्रलय आकर उन सब को बहा न ले गया, तब तक उनको कुछ भी मालूम न पड़ा; वैसे ही मनुष्य के पुत्र का आना भी होगा। ४० उस समय दो जन खेत में होंगे, एक ले लिया जाएगा और दूसरा छोड़ दिया जाएगा। ४१ दो स्त्रियाँ चक्‍की पीसती रहेंगी, एक ले ली जाएगी और दूसरी छोड़ दी जाएगी। ४२ इसलिये जागते रहो, क्योंकि तुम नहीं जानते कि तुम्हारा प्रभु किस दिन आएगा। ४३ परन्तु यह जान लो कि यदि घर का स्वामी जानता होता कि चोर किस पहर आएगा तो जागता रहता, और अपने घर में सेंध लगने न देता। ४४ इसलिये तुम भी तैयार रहो, क्योंकि जिस घड़ी के विषय में तुम सोचते भी नहीं हो, उसी घड़ी मनुष्य का पुत्र आ जाएगा। ४५ “अत: वह विश्‍वासयोग्य और बुद्धिमान दास कौन है, जिसे स्वामी ने अपने नौकर–चाकरों पर सरदार ठहराया कि समय पर उन्हें भोजन दे? ४६ धन्य है वह दास, जिसे उसका स्वामी आकर ऐसा ही करते पाए। ४७ मैं तुम से सच कहता हूँ, वह उसे अपनी सारी संपत्ति पर अधिकारी ठहराएगा। ४८ परन्तु यदि वह दुष्‍ट दास सोचने लगे कि मेरे स्वामी के आने में देर है, ४९ और अपने साथी दासों को पीटने लगे, और पियक्‍कड़ों के साथ खाए–पीए। ५० तो उस दास का स्वामी ऐसे दिन आएगा, जब वह उसकी बाट न जोहता हो, और ऐसी घड़ी जिसे वह न जानता हो, ५१ तब वह उसे भारी ताड़ना देगा और उसका भाग कपटियों के साथ ठहराएगा : वहाँ रोना और दाँत पीसना होगा।

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लागूकरण

अब कहानी को फिर से सुनते हैं।
परमेश्वर के बारे में आप इस कहानी से क्या सिखते हैं?
इस कहानी से आप अपने सहित लोगों के बारे में क्या सीखते हैं?
यह कहानी आप अपने जीवन में कैसे लागु करेंगे? क्या ऐसी कोई आज्ञा है, जो पालन करना है? अनुसरण करने हेतु कोई उदहारण है? या फिर कोई पाप जिससे अपने आपको दूर करने की जरुरत है?
सत्य का संचय नहीं करना चाहिए, किसी ने आप के साथ सत्य साझा किया, जिससे आप को लाभ प्राप्त हुआ है, तो, आप आने वाले सप्ताह में, किस व्यक्ति के साथ इस कहानी को साझा करेंगे?
जैसे ही हमारी सत्र समाप्त होने को है, आइए तय करें कि अगली कहानी सुनने के लिए हम दोबारा कब मिलेंगे और चुनें कि हमारी अगली सत्र की सुविधा कौन प्रदान करेगा?
यह संगति का समय अच्छा रहा, हम आपको प्रोत्साहित करना चाहते हैं, उस बात को लिखने के लिए जो आप करने वाले है और अगले सत्र में आने पूर्व, कहानी को फिर से पढ़ लें।

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